#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली*
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी,
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान)
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*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
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(५)
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*चहुं दिशि बादल उनइये रे रिमझिमि बारिषै मेंह ।*
*अंतर भीजै आतमा ये सषि दिन दिन अधिक सनेह ॥३॥*
चारों ओर प्रेम के बादल उमड़ रहे हों, और उनसे प्रेम की ऐसी रिमझिम(मीठी फुहारों के साथ) वर्षा हो रही हो कि उससे आतमा भी द्रवित हो जाय तथा स्नेह में भी दिन दूनी रात चौगनी वृद्धि होती रहे ॥३॥
*झूलहिं नाम कबीरजी रे अति आनंद प्रकास ।*
*गुरु दादू तहां झूलहीं ये सषि झूलै सुन्दरदास ॥४॥*
हे सखि ! सन्त कबीर ने ऐसा ही झूला झूला था, जिससे उन का हृदय आध्यात्मिक आनन्द से पुर्णतः प्रकाशित हो गया था । हमारे गुरुदेव श्री दादूदयालजी महाराज ने भी इस झूलने का आनन्द लिया है । अब मैं भी, उन की बतायी हुयी पद्धति के अनुसार, इसी से झूलता हुआ आनन्दित हो रहा हूँ ॥४॥
(क्रमशः)
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