रविवार, 8 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(१-जकड़ी राग गौड़ी १०) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय (चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= १-जकड़ी राग गौड़ी =*
.
(१०) 
(ताल चरचरी) 
*पल पल छीन काल ग्रसत,* 
*तोहिरे दृग नाहिं द्रसत, हँसत मूढ़ अज्ञान ते ।* 
*करत है अनेक धन्ध, और कौं बदत अन्ध,* 
*देषत षठ बिनस जाइ झूंठे अभियान तें ॥(टेक)* 
*पर्यौ जाइ बिषै जाल होइगें बुरे हवाल,* 
*बहुत भांति दुःख पै है निकसत या प्रान तें ।* 
*सुत दारा छाडि धाम अरथ धरम कौंन काम ।* 
*सुन्दर भजि राम नाम छूटै भ्रम आन तें ॥१॥* 
अरे मूर्ख अज्ञानी ! तेरे अनमोल एवं पल पल एवं क्षण क्षण समय को मृत्युरूप काल क्षींण करता जा रहा है - यह तुझे दिखायी नहीं दे रहा ! फिर भी तूँ मूर्खतावश हँस रहा है ! तूँ तो अनेक सांसारिक अकरणीय कर्मों में आबद्ध है । कोई तुझे(अन्धे मूर्ख को) इन अकर्मों से रोक भी नहीं रहा । अरे मूर्ख ! तूँ इस झूठे अभिमान के कारण नष्ट हो जायगा ॥टेक॥ 
तूँ सांसारिक विषयभोग जाल में फँसता जा रहा है, ऐसे तो तेरा जीवन चौपट हो जायगा । तूँ, मृत्युकाल आने पर, बहुत कष्ट पायगा । तेरे पुत्र पौत्रादिक यहीं रह जायँगें । कोई तेरा साथ नहीं देगा । तेरे ये धन और धर्म कोई किसी उपयोग में नहीं आयेंगे । अतः तूँ निरन्तर रामनाम का भजन कर, तभी तुझे सांसारिक भ्रमों से मुक्ति मिलेगी ॥१॥
(क्रमशः)

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