गुरुवार, 19 जुलाई 2018

= शूरातन का अँग(२४ - ५५/५६) =

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शूरातन का अँग २४*
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सबै कसौटी शिर सहै, सेवक सांई काज । 
दादू जीवन क्यों तजे, भाजे हरि को लाज ॥५५॥ 
साधक परमात्मा की प्राप्ति के लिये सभी कठौर परीक्षा रूप कष्टों को सहन करे किन्तु अपनी जीवन रूप भक्ति को किसी प्रकार भी न त्यागे । कारण, भक्ति को त्याग कर विषयों की ओर भागने से हरि को लाज लगती है । लोग कहते हैं देखो, हरि - भक्त होकर भी विषयों में गिर गया । 
सांई कारण सब तजे, जन का ऐसा भाव । 
दादू राम न छाड़िये, भावे तन मन जाव१॥५६॥
भक्त का ऐसा ही प्रेम होता है, वह परमात्मा की प्राप्ति के लिये सम्पूर्ण साँसारिक भावनाओं को त्याग देता है । अत: चाहे विषय और वासनादि के त्याग व साधना से तन मन क्षीण हो जाय१ किन्तु साधक को राम - भजन न छोड़ना चाहिये ।
(क्रमशः)

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