शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

= शूरातन का अँग(२४ - ५५/५७) =

#daduji

卐 सत्यराम सा 卐
*"श्री दादू अनुभव वाणी"* टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*शूरातन का अँग २४*
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सांई कारण सब तजे, जन का ऐसा भाव ।
दादू राम न छाड़िये, भावे तन मन जाव१॥५५॥
भक्त का ऐसा ही प्रेम होता है, वह परमात्मा की प्राप्ति के लिये सम्पूर्ण साँसारिक भावनाओं को त्याग देता है । अत: चाहे विषय और वासनादि के त्याग व साधना से तन मन क्षीण हो जाय१ किन्तु साधक को राम - भजन न छोड़ना चाहिये ।
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*पतिव्रत निष्काम*
दादू सेवक सो भला, सेवे तन मन लाइ ।
दादू साहिब छाड़कर, काहू संग न जाइ ॥५६॥
५६ - ५७ में निष्काम पतिव्रत का परिचय दे रहे हैं, जो परमात्मा का भजन छोड़ कर किसी भी प्रकार साँसारिक वासना के पीछे नहीं लगता और अपना तन - मन भगवद् - भक्ति में ही लगाकर भक्ति करता है, वही भक्त अच्छा है ।
पतिव्रता निज पीव को, सेवे दिन अरु रात ।
दादू पति को छाड़कर, काहू संग न जात ॥५७॥
जैसे पतिव्रता रात - दिन अपने पति की सेवा करती है, पति को छोड़कर किसी अन्य के साथ नहीं जाती । वैसे ही भक्त जीवन - भर परमात्मा की भक्ति करता है, अन्य किसी विषय - वासना के संग नहीं लगता ।
(क्रमशः)

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