रविवार, 29 जुलाई 2018

(६)

卐 सत्यराम सा 卐
*सोई सुहागिनी साच श्रृंगार,*
*तन मन लाइ भजै भर्तार ॥*
*भाव भक्ति प्रेम ल्यौ लावै,*
*नारी सोई सार सुख पावै ॥*
(श्री दादूवाणी ~ पद. ६३)
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*राघवयादवीयम्* ~ लेखक *श्री वेंकटाध्वरी*
साभार सौजन्य ~ मुदित मिश्र विपश्यी(हिंदी/अंग्रेजी अनुवाद)
अंग्रेजी अनुवाद ~ डा. सरोजा रामानुजम, M.A., Ph.d, Siromani in Sanskrit 
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(६)
*श्री रामलीला*(अनुलोम)
मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥६॥
लक्ष्मीपति नारायण के सुन्दर सलोने, तेजस्वी मानव अवतार राम का वरण, रसाजा(भूमिपुत्री) – धरातुल्य धैर्यशील, निज वाणी से असीम आनन्द प्रदाता, सुधि सत्यवादी सीता – ने किया था ॥६॥
Sita, who was born from the earth, whose words provide uninterrupted joy, who is equal to the earth(in patience), true to those who bow to her, wedded Rama, incarnated in the form of a stunning human, possessing beautiful luster and who is the Lord of Lakshmi.
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(६) 
*श्री कृष्णलीला*(विलोम)
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥६॥
तत्वतः(वास्तव में) देवताओं के रक्षक, निज पति के रूप में प्राप्त, सत्यवादी कृष्ण, के द्वारा प्रेषित, नारद द्वारा लाए गए, उज्जवल पारिजात पुष्प को नृपजा(नरेश-पुत्री) रमा(रुक्मिणी) ने प्राप्त किया ॥६॥ 
Lustrous flower parijata, brought by Narada; sent by veracious Krishna, protector of the devas, was received by princess Rama(Rukmani)(6)
(क्रमशः)

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