गुरुवार, 12 जुलाई 2018

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卐 सत्यराम सा 卐 
*दादू कर सांई की चाकरी, ये हरि नाम न छोड़ ।*
*जाना है उस देश को, प्रीति पिया सौं जोड़ ॥* 
*आपा पर सब दूर कर, राम नाम रस लाग ।*
*दादू अवसर जात है, जाग सकै तो जाग ॥*
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साभार ~ Mahesh Goel

एक बार एक ग्राहक चित्रों की दुकान पर गया। उसने वहाँ पर एक अजीब सा चित्र देखा। उस चित्र में एक व्यक्ति का चेहरा पूरी तरह बालों से ढँका हुआ था और पैरोँ मे पंख थे । वहीं उसी चित्र में एक व्यक्ति जिसका सिर पीछे से गंजा था।
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इस चित्र को देखकर ग्राहक ने पूछा - यह चित्र किसका है?
दुकानदार ने कहा - अवसर का ।
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ग्राहक ने पूछा - इसका चेहरा बालों से ढका क्यों है?
दुकानदार ने कहा - क्योंकि अक्सर जब अवसर आता है तो मनुष्य उसे पहचान नहीं पाता है ।
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ग्राहक ने फिर पूछा - और इसके पैरो मे पंख क्यों है?
दुकानदार ने कहा - वह इसलिये कि यदि इसका उपयोग न हो तो यह तुरंत उड़ जाता है ।
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ग्राहक ने पूछा - और यह दूसरे चित्र में पीछे से गंजा सिर किसका है?
दुकानदार ने कहा - यह भी अवसर का है । यदि अवसर को सामने से ही बालों से पकड़ लेँगे तो वह आपका है । यदि आपने उसे पकड़ने में थोड़ी देरी कर दी यह उड़ जाएगा। जैसे ही यह उड़ने लगेगा। आपको इसकी पहचान हो जाएगी। ऐसे में आप जब इसको पकड़ने की कोशिश करोगे तो पीछे का गंजा सिर हाथ आयेगा और वो फिसलकर निकल जायेगा । 
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वह ग्राहक इन चित्रों का रहस्य जानकर हैरान था पर अब वह बात समझ चुका था । 'हमें अवसर ही नहीं मिला' अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है । अवसर हमेशा हमारे सामने से आते जाते रहते हैं पर हम उसे पहचान नहीं पाते या पहचानने मेंर देते हैं । और कई बार हम सिर्फ इसलिये चूक जाते हैं क्यों कि हम बड़े अवसर के ताक में रहते हैं । पर अवसर बड़ा या छोटा नहीं होता है । हमें हर अवसर का भरपूर उपयोग करना चाहिये ।

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