गुरुवार, 12 जुलाई 2018

= सुन्दर पदावली(२. राग माली गौडी १) =

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॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥ 
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - *सुन्दर पदावली* 
साभार ~ महंत बजरंगदास शास्त्री जी, 
पूर्व प्राचार्य ~ श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(जयपुर) व राजकीय आचार्य संस्कृत महाविध्यालय(चिराणा, झुंझुनूं, राजस्थान) 
*= २. राग माली गौडी =*
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(१) 
(ताल रूपक) 
हरि नाम तैं सुख ऊपजै मन छाडि आन उपाइ रे । 
तन कष्ट करि करि जौ भ्रमै तौ मरन दुःख न जाइ रे ॥(टेक) 
रे मन ! हरि के भजन से ही तुम्हें सदा सुख मिल सकता है । इसके लिये अन्य उपाय की खोज छोड़ दे ।(टेक) 
गुरु ज्ञान कौ विश्वास गहि जिनि भ्रमै दूजी ठौर रे । 
योग यज्ञ कलेश तन ब्रत नाम तुलत न और रे ॥१॥ 
अरे ! तूँ एकमात्र गुरु से श्रुत उपदेश पर ध्यान दे । अन्य उपायों के भ्रम में पड़कर उन के लिये दौड़ना छोड़ दें, क्योंकि शास्त्रों में बताये गये अन्य सभी उपाय, जैसे योग, यज्ञ, क्लिष्ट तपश्चर्या, विविध व्रत, नियम आदि सभी कुछ इस की तुलना में कहीं नहीं ठहरते ॥१॥ 
सब सन्त यौंही कहत हैं श्रुति स्मृति ग्रन्थ पुरान रे । 
दास सुन्दर नाम तें गति लहै पद निर्वान रे ॥२॥ 
सभी सन्तों का ऐसा ही कथन है, तथा श्रुति, स्मृति, पुराण आदि शास्त्रों में भी स्थान स्थान पर ऐसा लिखा है । श्री सुन्दरदासजी कहते हैं कि नाम जप से ही निर्वाण पद की प्राप्ति सम्भव है ॥२॥
(क्रमशः)

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