शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

= विनती का अँग(३४ - ३८) =

#daduji

॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
*श्री दादू अनुभव वाणी* 
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*विनती का अँग ३४* 
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यहु तन भेरा१ भवजला२, क्यों कर लँघे तीर । 
खेवट बिन कैसे तिरै, दादू गहर गँभीर ॥३८॥ 
हमारा सूक्ष्म शरीर बांसों के बंधे हुये बेड़े१ के समान है । यह सँसार - समुद्र२ के विषय - वासना रूप अत्यँत घने और गँभीर जल से परमात्मा - केवट के बिना सुख से तैरता हुआ पार कैसे जा सकता है ?
(क्रमशः)

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