मंगलवार, 8 अक्तूबर 2024

शंकराचार्यजी

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🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
🌷🙏🇮🇳 *#भक्तमाल* 🇮🇳🙏🌷
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*दादू जैसा ब्रह्म है, तैसी अनुभव उपजी होइ ।*
*जैसा है तैसा कहै, दादू विरला कोइ ॥*
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*सौजन्य ~ #भक्तमाल*, *रचनाकार ~ स्वामी राघवदास जी,*
*टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान*
*साभार ~ श्री दादू दयालु महासभा*, *साभार विद्युत संस्करण ~ रमा लाठ*
*मार्गदर्शक ~ @Mahamandleshwar Purushotam Swami*
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*सवैया-*
*रुद्र को रूप अनूप महा जनम्यो,*
*भुवि केरल शंकराचारय ।*
*दत से मिलके मत ले इतनों,*
*नृप को सु प्रबोध कियो कुल आरय ॥*
*जैन से जीते हैं बैन विजै भइ,*
*राम भगत्ति थपी विसतारय ।*
*राघो कहै तत तारक मंत्र से,*
*दूर कियो सब को भ्रम भारय ॥३०१॥*
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शिव स्वरूप, अनुपम और महान् शंकराचार्यजी भारत के केरल प्रदेश के जन्मे थे ।

दत्तात्रेयजी से मिल कर अर्थात् उनके सिद्धान्त से अपने विचार मिला कर आपने इतना विशाल सिद्धान्त अपनाया था कि जिसकी समता करने वाला अन्य कोई भी सिद्धान्त नहीं है और अपने समकालीन बौद्ध तथा जैनियों से प्रभावित राजा को यह कहकर कि तुम आर्यकुल के नृपति हो, तुम्हें सनातन धर्म को मानना चाहिये, सनातन धर्म का सदुपदेश किया था ।

अपने वचनों के द्वारा शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त करके जैनियों को जीता और राम भक्ति की स्थापना करके भक्ति का विस्तार किया ।

तत्त्वस्वरूप और संसार से तारने वाले 'ॐ' मंत्र के रहस्य को समझाकर सबके हृदय के भ्रम रूप भार को दूर किया था ॥३०१॥
(क्रमशः)

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