सोमवार, 8 अप्रैल 2013

= साच का अंग १३ =(१०/१२)

॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"* 
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी 
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज 
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*= साच का अंग १३ =*
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*तन मन मार रहे सांई सौं, तिनकौं देख करैं ताजीर ।*
*ये बड़ि - बूझ कहाँ थैं पाई, ऐसी कजा अवलिया पीर ॥१०॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! जो संतजन, अपने तन - मन को निर्विषय, गुणातीत करके, आत्मा में लयलीन रहते हैं, उनसे वे लोग ‘ताजीर’, कहिए ईर्ष्या रखते हैं । हे मुसलमानों ! यह नासमझी तुमने कहाँ से प्राप्त की है ? क्या तुम्हारे औलिया पीरों का ‘कजा’, कहिए यही न्याय है ?। १०॥ 
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*बे महर गुमराह गाफिल, गोश्त खुरदनी ।*
*बेदिल बदकार आलम, हयात मुरदनी ॥११॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! जो दया - भाव से शून्य हैं, परमेश्‍वर से विमुख हैं, कर्त्तव्य शून्य हैं, मांस जिनका खाना है, ऐसे नीच कर्म करने वाले मलीन अन्तःकरण प्राणी इस संसार में पैदा हुए जन - समुदाय की तरफ से और ईश्‍वर की तरफ से मृतक समान हैं । इस प्रकार जानकर ऐसे पुरुषों का त्याग करो ॥११॥ 
सर्व शुक्रं भवेद् ब्रह्मा, विष्णुः मांसं प्रवर्तते । 
ईश्‍वरश्चास्थिसंघातं अतो मांसं न भक्षयेत् ॥ 
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*छल कर बल कर घाइ कर, मारै जिंहि तिंहि फेरि ।*
*दादू ताहि न धीजिये, परणै सगी पतेरि ॥१२॥* 
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! जो कपट करके जबरदस्ती से घात करैं अर्थात् मारैं, कोई न कोई कारण बनाकर जीव हिंसा करते हैं और अपनी बहन को ही परण लेते हैं(अर्थात् ताऊ का लड़का और छोटे भाई की लड़की के साथ शादी कर देते हैं), उनका कभी भी विश्‍वास नहीं करना कि ये जन समुदाय की सेवा करके ईश्‍वर को प्राप्त कर सकेंगे अर्थात् ईश्‍वर उनको माफ नहीं करेगा ॥१२॥
By deceit, by force or by chasing- 
in one way or another they catch and kill.
Have no trust in such men, O Dadu ;
they can marry the daughter of their 
own blood-brother. 
(क्रमशः)

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