बुधवार, 6 नवंबर 2013

हिरदै राम रहे जा जनके २/१०४

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 #श्रीदादूवाणी०प्रवचन०पद्धति 卐* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*स्मरण का अंग २/१०४*
.
*हिरदै राम रहे जा जनके, ताको ऊरा कौन कहै ।*
*अठ सिधि नौ निधी ताके आगे, सन्मुख सदा रहे ॥१०४॥*
दृष्टांत - 
बालद ढरी कबीर के, दादू गेटोलाव ।
भरद्वाज मुनि प्रयाग में, भरत जिमायो साव ॥१८॥
कबीर के घर भगवान् ने दो बार बालद लाकर डाली थी । एक बार कबीर खादी बेचने गये तब एक साधु ने उन से सब खादी माँगली । उन्होंने दे दी फिर खाली हाथ घर पर नहीं गये । वन में जाकर भजन करने लगे । अन्न के अभाव से परिवार भूखों मर रहा था । तब भगवान् कबीर का रूप बनाकर कबीर के घर बालद ले गये थे । 
.
दूसरी बार ईर्ष्यालु ब्राह्मणों ने दूर दूर तक प्रचार किया कि अमुक दिन कबीर के भारी भंडारा है सब साधु पधारना । नियत दिन को बहुत साधु आ गये तब कबीर तो कहीं जा कर भजन करने लगे । भगवान् ने ही कबीर का रूप बना कर बहुत सामग्री ला डाली थी और कबीर के नाना रूप बनाकर आगत साधुओं की अच्छी सेवा की थी । यही कबीर की बालद आने की कथा है ।
.
दादू गेटोलाव - दादूजी अकबर बादशाह के याहं से लौट कर दौसा के गेटोलाव तालाब पर आये तब शिष्य संतों को कहा - अच्छा सरोवर आ गया है स्नान कर लो तब जग्गाजी ने कहा - स्नान कराकर क्या गर्म जलेबी जिमाओगे ? दादूजी - जलेबी तुम्हारे लिये दुर्लभ नहीं है, तुम अपना काम करो, भगवान् का काम जलेबी देना है, उसे भगवान् करेंगे । 
.
फिर सब स्नान करके सर तट पर भजन करने बैठ गये । भजन करके उठने का समय हुआ तो तालाब से गर्म जलेबियों की छाव तैरती हुई दादूजी के पास आ गई । फिर सब संतों ने तृप्त होकर जलेबी जीमी और बची सो प्रसाद के रूप में छोड़ कर छाव तालाब में ही छोड़ दी । वह थोडी दूर जाकर तालाब में ही डूब गई ।
.
भरत जब राम के पास जा रहे थे तब भरद्वाज मुनि ने उनका अतिथ्य किया था । वह कथा रामायण में प्रसिद्ध ही है । अतः जिनके हृदय में राम का चिन्तन निरंतर होता रहता है, उनकी किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती । सदा ॠद्धि सिद्धि सेवा में रहते हैं ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें