मंगलवार, 5 नवंबर 2013

= ५३ =



#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू अविनाशी अंग तेज का, ऐसा तत्त्व अनूप । 
सो हम देख्या नैन भरि, सुन्दर सहज स्वरूप ॥ 
परम तेज प्रगट भया, तहॉं मन रह्या समाइ । 
दादू खेलै पीव सौं, नहीं आवै नहीं जाइ ॥ 
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साभार : Pradyumn Singh Chouhan ~ 
"सूर्य : व्यक्तित्व निर्माण में एक वैदिक उपमा" 
.................. लेखन-प्रद्युम्न सिंह चौहान 
हम जीवन को जीते जाते हैं, कई बार ईश्वर से प्रार्थना भी करते हैं । सभी चाहते हैं ईश्वर उन्हें अच्छा बना दे । लेकिन प्रार्थना के लिए भी एक अच्छी उपमा हो तो हमारे भाव काफी उच्च विचारों के साथ व्यक्त हो सकते हैं, चलिए अब इस बात को मै सामवेद की इस ऋचा से समझाने का प्रयत्न करुंगा -
अहं सूर्यइवाजनि ।। - सामवेद १५२ 
अर्थ - मैं सूर्य के समान बन जाऊं ।
इसे इस तरह समझते हैं यहाँ पर ईश्वर से सूर्य के समान बनने को कहा है अर्थात सूर्य की उपमा को कई तरह से यहाँ समझ सकते हैं । जहां सूर्य प्रकाश का स्त्रोत है वैसे हम ज्ञान के प्रकाशरूपी स्त्रोत बने आम जन के लिए, हमारे में पांडित्य आये । सूर्य से सभी प्राणियों को उर्जा मिलती है ठीक ऐसे ही हम दूसरों की उर्जा का स्त्रोत बनें अर्थात किसी को अन्न देकर उसमें उर्जा लायें या फिर विचारों से किसी को प्रोत्साहित करें । अब इसे आजकल के भौतिक जीवन से भी जोड़कर समझते हैं आजकल देखते हैं जिन लोगों के पास पर्याप्त धन है वो भी इस प्रकार से जीवन जीते हैं जैसे सिर्फ धन के लिए ही उनका जन्म हुआ है, अब सूर्य को ही देखें वह दिनभर अपना कार्य करके शाम को डूब जाता है लेकिन इन्सान आज दिन रात धन ही कमाने में लगा हुआ है । लेकिन प्रार्थना में हमारे भाव इस प्रकार से व्यक्त भी होना चाहिए की हम सूर्य के समान बनना क्यों चाहते हैं ? ताकि इस एक शब्द उपमा "सूर्य" में ही हमारे सभी प्रार्थना के भाव समाहित हो जायें ।
आजकल मेनेजमेंट गुरु और मोटीवेशनल लेक्चर देने वाले अपने उद्भोदनों में कई तरह के तर्कों से, उदाहरणों से व्यक्ति को कुछ बनने को बताते हैं लेकिन यहाँ उनसे भी बहुत ऊँचे विचार से यहाँ सामवेद ऋचा में हमारे व्यक्तित्व विकास को सिर्फ व्यक्ति से न जोड़कर बल्कि उसे परमात्मा से जोड़कर उससे प्रार्थना के भावों में व्यक्त कर व्यक्तित्व बनाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई है। जिसमें "बन जाऊं" शब्द में पुरुषार्थ के भाव है यानि की स्वयं भी मेहनत, श्रम, कर्म करने के भाव है । यहाँ सूर्य को उपमा रूप में बताकर उसके समान बनने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा रही है ।
जय माँ भारती .....................जय भारत वर्ष 
जय माँ भारती .....................जय भारत वर्ष

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