मंगलवार, 5 नवंबर 2013

= ५४ =


#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू भावैं भाव समाइ ले, भक्तैं भक्ति समान ।
प्रेमैं प्रेम समाइ ले, प्रीतैं प्रीति रस पान ॥ 
दादू सूरतैं सुरति समाइ रहु, अरु बैनहुं सौं बैन ।
मन ही सौं मन लाइ रहु, अरु नैनहुँ सौं नैन ॥ 
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साभार : hindi.webdunia.com ~
प्रेम और भक्ति की गांठ में बहुत रस होता है। 

यह गांठ जितना मजबूत होगी, जीवन में उतना परमात्मा निकट आएगा। 

जिन लोगों के जीवन में प्रेम और भक्ति, ये दो भाव नहीं हैं, उनका जीवन ही व्यर्थ है।

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