सोमवार, 28 जुलाई 2014

मैं मेरे में हेरा ~ पद. ७८

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
मैं मेरे में हेरा, मध्य मांहिं पीव नेरा ॥टेक॥
जहॉं अगम अनूप अवासा, तहँ महापुरुष का वासा ।
तहँ जानेगा जन कोई, हरि मांहि समाना सोई ॥१॥
अखंड ज्योति जहँ जागै, तहँ राम नाम ल्यौ लागै ।
तहँ राम रहै भरपूरा, हरि संग रहै नहिं दूरा ॥२॥
तिरवेणी तट तीरा, तहँ अमर अमोलक हीरा ।
उस हीरे सौं मन लागा, तब भरम गया भय भागा ॥३॥
दादू देख हरि पावा, हरि सहजैं संग लखावा ।
पूरण परम निधाना, निज निरखत हौं भगवाना ॥४॥
(#श्री०दादूवाणी ~ पद. ७८)

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