रविवार, 31 अगस्त 2014

= ७८ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
राम ! सुनहुन विपति हमारी हो, 
तेरी मूरति की बलिहारी हो ॥टेक॥ 
मैं जु चरण चित चाहना, 
तुम सेवक-सा धारना ॥१॥ 
तेरे दिन प्रति चरण दिखावना, 
कर दया अंतर आवना ॥२॥ 
जन दादू विपति सुनावना, 
तुम गोविन्द तपत बुझावना ॥३॥ 
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चरन साध के धोइ धोइ पीउ ॥ 
अरपि साध कउ अपना जीउ ॥ 
साध की धूरि करहु इसनानु ॥ 
साध ऊपरि जाईऐ कुरबानु ॥ 
साध सेवा वडभागी पाईऐ ॥ 
साधसंगि हरि कीरतनु गाईऐ ॥ 
अनिक बिघन ते साधू राखै ॥ 
हरि गुन गाइ अम्रित रसु चाखै ॥ 
ओट गही संतह दरि आइआ ॥ 
सरब सूख नानक तिह पाइआ ॥६॥ 
(SGGS 283) 
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Wash the feet of the Holy, and drink this water. The feet of saint can be obtained at the second spiritual stage. They do not refer to physical feet. Dedicate your soul to the Holy. Take your cleansing bath in the dust of the feet of the Holy. To the Holy, make your life a sacrifice. Service to the Holy is obtained by great good fortune. In the Saadh Sangat, the Company of the Holy, the Kirtan(Divine Music) of the Lord's Praise is sung. From all sorts of dangers, the Saint saves us. Singing the Glorious Praises of the Lord, we taste the ambrosial essence. Seeking the Protection of the Saints, we have come to their door. All comforts, O Nanak, are so obtained. 
गुरु साहिब फरमा रहे हैं कि साध-सन्त के चरण को धोवो और उसकी धोवन(चरणामृत) का पान करो । अब ये चरण जिस्मानी चरण नहीं है बल्कि ये चरण तो ब्रह्म पद में मिलते हैं । तुलसीदास जी उन चरणों की सुन्दरता और ओजस्व का ऐसे वर्णन करते हैं कि उनके पैर के एक नाखून से ही करोड़ों मणियों की प्रकाश निकलता है । उनके पैरों के नूरानी प्रकाश में आत्मा जब स्नान करती है तो उसके जन्मों की मैल साफ़ हो जाती है ।अपना जीवन सन्तो पर न्योछावर कर दो । बहुत ही अच्छे भाग्य हों तो सन्तों की शरण प्राप्त होती है । उनकी संगत में राम-नाम की दिव्य धुन सुनाई देती है । सन्त हमें सभी आपदाओं से बचाते हैं और हमें जीवन की सही मंजिल नसीब होती है । 
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भाई गुरुदास जी भी फरमाते हैं: 
बेद गिरंथ गुर हटि है जिसु लगि भवजल पारि उतारा । 
सतिगुर बाझु न बुझीऐ जिचरु धरे न प्रभु अवतारा । 
(vaar 1, Pauri 17) 
From that knowledge of the Vedas which gets man across the world ocean even the knowledgeable people get away. So long God does not descend on earth in the form of true Guru, no mystery can be understood.

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