शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

= “ष. विं. त.” १४/१५ =

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*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“षड्विंशति तरंग” १४/१५)*
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*बीरबल को हिम से बचाया आदि प्रसंग ~*
हिम्म गिरी मधि बीर रखे गुरु, 
देश केदारहिं रूप अनन्ता ।
लौंग प्रसाद दिये सबको गुरु, 
टौंक महोत्सव पूरहिं सन्ता ॥ 
मुक्ति करी गुठले मग स्वामिजु, 
धेनुहिं भेंटि चले गुरु पन्था ।
आंधिसुग्राम करी वरषा पुनि, 
वर्षहु दोय तपे तहँ महन्ता ॥१४॥ 
आमेर विराजे हुए ही अन्तर्यामी गुरुदेव ने हिमालय की घाटी में भीषण हिमस्खलन में फँसे हुए भक्त बीरबल की रक्षा की । केदार देश में योग विद्या से पधार कर अनन्त रूप धारण किये । टौंक नगर में संत महोत्सव में अपार भीड़ को एक साथ अनन्त रूपधारकर लौंग प्राद वितरित किया, सामग्री में अटूट ॠद्धि कर उद्धार किया । आँधी ग्राम में वर्षा का आह्वान करके जनसमाज को दुर्भिक्ष से बचाया । श्रीगुरुदेव आँधी ग्राम में दो वर्ष तक विराजे ॥१४॥ 
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*कल्याण पुरी महारास दिखाना आदि ~*
एकहिं वर्ष कल्याण पुरी तपि, 
पीथल को दिखलावत रासा ।
खाटु मतंगजु शीश निवावत, 
दूर भगे खल पावत त्रासा ॥ 
शाहपुरे तन दोय धरे गुरु, 
शाहु तिलोहिं पूरन आशा ।
मरुधर देश चिताय भली विधि, 
ईडवे आठहिं मास निवासा ॥१५॥ 
पश्‍चात् पुन: कल्याणपुरी पधार कर एक वर्ष तक तपस्या की । वहाँ पीथल को दिव्य रासलीला का दर्शन कराया । मारवाड़ क्षेत्र की यात्रा में खाटू ग्राम में दुष्ट शासक द्वारा छोड़े गये मतवाले हाथी को तप: प्रभाव से शान्त किया । हाथी ने गुरुदेव के चरणों में शीश निवाया । दुष्ट जन भयभीत होकर दूर भाग गये । शाहपुरा ग्राम में श्रीदादूजी ने दो जगह रूप धारण करके भक्त तिलोक शाहू की आशा पूर्ण की । मारवाड़ क्षेत्र के जन समाज में भक्ति ज्ञान को भली प्रकार जगा कर गुरुदेव ईडवा ग्राम में आठ मास तक विराजे ॥१५॥ 
(क्रमशः)

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