#daduji
दादू संगी सोई कीजिये, जे कलि अजरावर होइ ।
ना वह मरै, न बीछूटै, ना दुख व्यापै कोइ ॥
दादू संगी सोई कीजिये, जे सुस्थिर इहि संसार ।
ना वह खिरै, न हम खपैं, ऐसा लेहु विचार ॥
दादू संगी सोई कीजिये, सुख दुख का साथी ।
दादू जीवन-मरण का, सो सदा संगाती ॥
दादू संगी सोई कीजिये, जे कबहूँ पलट न जाइ ।
आदि अंत बिहड़ै नही, ता सन यहु मन लाइ ॥
दादू संगी सोई कीजिये, जे कलि अजरावर होइ ।
ना वह मरै, न बीछूटै, ना दुख व्यापै कोइ ॥
दादू संगी सोई कीजिये, जे सुस्थिर इहि संसार ।
ना वह खिरै, न हम खपैं, ऐसा लेहु विचार ॥
दादू संगी सोई कीजिये, सुख दुख का साथी ।
दादू जीवन-मरण का, सो सदा संगाती ॥
दादू संगी सोई कीजिये, जे कबहूँ पलट न जाइ ।
आदि अंत बिहड़ै नही, ता सन यहु मन लाइ ॥

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