रविवार, 1 फ़रवरी 2015

#daduji 

राम धन खात न खूटै रे,
अपरंपार पार नहिं आवै, आथि न टूटै रे ॥ टेक ॥
तस्कर लेइ न पावक जालै, प्रेम न छूटै रे ॥ १ ॥
चहुंदिशि पसर्यो बिन रखवाले, चोर न लूटै रै ॥ २ ॥
हरि हीरा है राम रसायन, सरस न सूखै रे ॥ ३ ॥
दादू और आथि बहुतेरी, तुस नर कूटै रे ॥ ४ ॥

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