#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू मोहि भरोसा मोटा,
तारण तिरण सोई संग मेरे, कहा करै कलि खोटा ॥टेक॥
दौं लागी दरिया तै न्यारी, दरिया मंझ न जाई ।
मच्छ कच्छ रहैं जल जेते, तिन को काल न खाई ॥१॥
जब सूवै पिंजर घर पाया, बाज रह्या वन मांहीं ।
जिनका समर्थ राखणहारा, तिनको को डर नांहीं ॥२॥
साचे झूठ न पूजै कबहूँ, सत्य न लागै काई ।
दादू साचा सहज समाना, फिर वै झूठ विलाई ॥३॥
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव इसमें भगवत् भरोसा बता रहे हैं कि परमेश्वर के सच्चे संतभक्तों को तो केवल एक समर्थ परमेश्वर का भरोसा है । उसके आसरे निर्भय रहते हैं । अपने संतभक्तों को तारने वाले परमेश्वर, उन्हीं के आसरे, हमारा भी तैरना होगा । वे हमारे अन्तःकरण में हमारे साथ ही हैं । यह पापमय कलियुग और इसमें उत्पन्न हुए कुकर्मी खोटे प्राणी, हरि - भक्तों का क्या बिगाड़ कर सकते हैं ?
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जब आग लगती है तो दरियाव में रहने वाले मच्छ - कच्छ आदि जीवों को नहीं जला पाती । दरियाव के अन्दर अग्नि की लपट नहीं जाती है ।
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जब तोता पिंजरा रूप घर में बैठा है, तो वन में रहने वाला बाज, उसका क्या बिगाड़ कर सकता है । इसी प्रकार जिन सच्चे, संतभक्तों की रक्षा करने वाला समर्थ परमेश्वर है, उनको फिर कलियुग और कलियुगी प्राणियों का कोई डर नहीं होता ।
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सच्चे संत भक्त कलियुगी झूठे बनावटी देवी - देवताओं को कभी नहीं पूजते । उन सच्चे पुरुषों के, कलियुग की पाप आदि कालिमा, कभी नहीं लगती है । वह सच्चे पुरुष, सत्य - स्वरूप परमात्मा में समा कर रहते हैं और झूठे मिथ्यावादी कलियुगी प्राणी, पुनः पुनः जन्मते मरते रहते हैं ।
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