💐💐 #daduji 💐💐
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =
= बारहवां १२ अध्याय =
= १४ आचार्य गुलाबदासजी =
रामगढ गमन ~
रामगढ(शेखावटी) के पास आये तब अपने आने की सूचना पोद्दार भक्तों को दी । सूचना मिलने पर पोद्दार एकत्र होकर बाजे गाजे से संकीर्तन करते हुये आचार्य गुलाबदासजी महाराज के पास अगवानी करने आये । भेंट चढाकर सत्यराम बोलते हुये सब ने दंडवत की और आवश्यक प्रश्नोत्तर होने के पश्चात् आचार्य को अति सत्कार पूर्वक सवारी पर बैठाकर संकीर्तन करते हुये नगर के मुख्य बाजार से ले जाकर नियत स्थान में ठहराया । सेवा का सुन्दर प्रबन्ध कर दिया । आचार्य गुलाबदासजी महाराज जब तक रामगढ में रहे तब तक पोद्दार भक्तों ने परिवार के सहित सत्संग किया और अच्छी सेवा की । आचार्य गुलाबदासजी जब रामगढ से पधारने लगे तब पोद्दार भक्तों ने आचार्यजी को ढाई हजार रुपये भेंट किये तथा संतों को भी यथोचित वस्त्रादि दिये और अति सत्कार से सस्नेह विदा किया । रामगढ से विदा होकर आचार्य गुलाबदासजी महाराज शिष्य संत मंडल के सहित भ्रमण करते हुये तथा धार्मिक जनता को निर्गुण राम भक्ति का उपदेश करते हुये नारायणा दादूधाम में पधार गये ।
सूरतरामजी को छडी ~
वि. सं. १९४४ में महन्त सूरतरामजी सिंगरावट को आचार्य गुलाबदासजी महाराज ने दस्तूर के साथ चान्दी की छडी बक्शी । महन्त सूरतरामजी ५२ थामों में चतुरदासजी सिंगरावट वालों की परंपरा के महन्त थे ।
तुलसीदासजी के चातुर्मास ~
वि. सं. १९४४ में तुलसीदासजी भाभोलावका ने चातुर्मास का निमंत्रण आचार्य गुलाबदासजी महाराज को दिया । आचार्यजी ने स्वीकार कर लिया । फिर चातुर्मास का समय समीप आने पर आचार्य गुलाबदासजी महाराज शिष्य संत मंडल के सहित तुलसीदासजी के पधारे । आचार्यजी की अगवानी के लिये तुलसीदासजी भक्त मंडल के सहित गये और मर्यादापूर्वक प्रणामादि शिष्टाचार के पश्चात् अति आदर सत्कार से संकीर्तन करते हुये लाकर स्थान पर ठहराया । चातुर्मास आरंभ हो गया । चातुर्मास के सभी कार्यक्रम सुचारु रुप से चलने लगे । शांति पूर्वक चातुर्मास समाप्त हुआ तब तुलसीदासजी ने मर्यादानुसार आचार्य गुलाबदासजी महाराज को भेंट और शिष्य संत मंडल को वस्त्र देकर सस्नेह विदा किया । विदा होकर भ्रमण करते हुये नारायणा दादूधाम में पधार गये ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें