शनिवार, 5 दिसंबर 2015

= ७७ =

卐 सत्यराम सा 卐
मेरे मन भैया राम कहो रे ।
राम नाम मोहि सहज सुनावै, उनहीं चरण मन कीन रहो रे ॥ टेक ॥
राम नाम ले संत सुहावै, कोई कहै सब शीश सहो रे ।
वाही सौं मन जोरे राखो, नीके राशि लिये निबहो रे ॥ १ ॥
कहत सुनत तेरो कछू न जावै, पापनि छेदन सोई लहो रे ।
दादू रे जन हरि गुण गावो, कालहि जालहि फेरि दहो रे ॥ २ ॥
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साभार ~ Satyaprakash Sharma ~ "राम"
अपनी भगवन्नामस्मरण की प्यास कभी बुझने न दें।
क्या आप अपना मनुष्य जीवन सफल बनाना चाहते है?
यदि हाँ तो आज ही से भगवन्नामस्मरण की गति बढादें।
कुछ लोग तो दिन में कभी-कभी भगवान का नाम लेते हैं। कुछ लोग कहना है "माला जप तो ली" अब छुट्टी। आप ऐसा बिल्कुल न सोचें और भगवान के नाम को टालने की कोशिश न करें वरना भगवान भी आपको टाल देंगे।
अपने अंतकाल को सुधारने के लिए या अंतसमय में भगवान का नाम याद आये इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी। अगर आप समय रहते भगवान का नाम नहीं लेंगे तो अंतसमय में आपको भगवान कैँसे याद आयेंगे।
अंत समय में वही स्मृति रहती है जो जो जीवन में किया होता है।
एक आश्चर्यजनक बात लोग कहते है अभी समय नहीं आया। तो उनका कितना समय बचा है इसकी क्या गारंटी है। हम लोग यह अच्छी तरीके से जानते है कि मृत्यु किसी भी उम्र में आ सकती है। अतःअपने अंत समय को साध लो।
इसके लिए आपको अलग से समय निकालने की ज्यादा जरूरत नहीं है।नाम इतना सरल होता है कि कभी भी उठते-बैठते जब याद आ जाए नाम को लिया जा सकता है। शुरुआत में थोडी जबरजस्ती करना होगी। कुछ दिनों में एक आदत सी हो जाएगी तो स्वतः आपका नामस्मरण होता रहेगा। बस! जरूरत है ऐसी आदत डालने की।
"जय सियाराम"
"राम"

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