सोमवार, 21 दिसंबर 2015

= १०५ =


卐 सत्यराम सा 卐
साचा सिर सौं खेल है, यह साधुजन का काम ।
दादू मरणा आसँघै, सोई कहैगा राम ॥ 
राम कहैं ते मर कहैं, जीवित कह्या न जाइ ।
दादू ऐसैं राम कहि, सती शूर सम भाइ ॥ 
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साभार ~ Anand Nareliya ~ कहानी पंजाब की है
एक फकीर था, वह सड्कों पर चिल्लाता फिरता था—ईश्वर ले लो, नाम ले लो। नाम को तो नानक ने बड़ा मूल्य दिया, नाम को तो ईश्वर का पर्याय कहा। बस नाम ही सब कुछ है। तो वह फकीर चिल्लाता था—ईश्वर ले लो, नाम ले लो। नाम नाम का पंजाब में एक गहना भी होता था, एक आभूषण। इस आभूषण के कारण एक महाशय ने समझा कि वह उस आभूषण को बेचना चाहता है। वे उसके घर का पता लगाकर पहुंचे। उनकी लड़की की शादी होने वाली थी, वह उस आभूषण को खरीदना चाहते थे।

फकीर घर पर नहीं था, उसकी छोटी लड़की थी। इन साहब ने उससे कहा कि मैं नाम खरीदना चाहता हूं तुम्हारे पिता कहा हैं? लड़की ने कहा, उनकी क्या जरूरत है, आप मूल्य चुकाने को तैयार हों तो मैं ही नाम दे दूंगी। लड़की भीतर गयी और छुरी पर धार रखने लगी। उसने पिता के मुंह से सुन रखा था कि ईश्वर को पाना हो तो खुद का जीवन देना होता है। इससे ही वह छुरी पर धार रख रही थी कि इन साहब को अपना जीवन दान करना पड़ेगा, तो छुरी तैयार कर दूं। इधर साहब को देर लगती देखकर बेचैनी होने लगी, उन्होंने खिड़की से झांककर देखा और कहा, लड़की क्या कर रही है? मैं खड़ा हूं जल्दी नाम दे दो। उस लड़की ने कहा, ठहरो, अपना सिर भी तो देना होगा। उसके लिए ही इस छुरे पर धार रख रही हूं। यह सुन साहब गुस्से से भर गए। शोरगुल सुन मोहल्ले के लोग भी इकट्ठे हो गए। उन महाशय ने कहा, मैं इन बदमाशों को पुलिस में दूंगा। लड़की मेरी हत्या करना चाहती है।

इसी बीच लडकी का पिता भी आ गया। उसने स्थिति समझी और बोला, पागल लड़की, ईश्वर की इतनी सस्ती कीमत! नाम लेना है तो हजारों जीवन देने होते हैं, एक जीवन देने से क्या चलेगा! नाम लेना हो तो हजारों जीवन खोने पड़ते हैं, एक जीवन खोने से क्या चलेगा! और आप जनाब, एक ही गर्दन देने से घबडा गए और पुलिस में जा रहे हैं!

अब जाकर लोगों को समझ में आया कि नाम का क्या अर्थ है! उस फकीर ने अंत में कहा कि ईश्वर इसीलिए ही आज नहीं मिलता, क्योंकि मेरी बच्ची जैसे सस्ते दामों पर उसे बेचने वाले पैदा हो गए हैं।

समझने की कोशिश करना। चारों तरफ इस तरह के लोग हैं, जो तुम्हें बहुत सस्ते दामों पर विधिया दे रहे हैं। उन्हें खुद भी पता नहीं कि वे क्या कर रहे हैं!...osho

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