॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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४१२. अमिट नाम विनती । पंजाबी त्रिताल ~
तेरे नाम की बलि जाऊँ, जहाँ रहूँ जिस ठाऊँ ॥ टेक ॥
तेरे बैनों की बलिहारी, तेरे नैनहुँ ऊपरि वारी ।
तेरी मूरति की बलि कीती, वारि - वारि हौं दीती ॥ १ ॥
शोभित नूर तुम्हारा, सुन्दर ज्योति उजारा ।
मीठा प्राण पियारा, तूँ है पीव हमारा ॥ २ ॥
तेज तुम्हारा कहिये, निर्मल काहे न लहिये ।
दादू बलि बलि तेरे, आव पिया तूँ मेरे ॥ ३ ॥
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव इसमें, नाम और नामी में अखण्ड प्रेम दिखाते हुए, नामी की प्राप्ति के लिये विनय कर रहे हैं कि हे प्यारे प्रीतम राम ! हम आपकी और आपके नाम की बारम्बार बलिहारी जाते हैं । हम जहाँ भी कहिए जिस जगह भी रहैं, वन में या नगर में, प्रवृत्ति मार्ग में, या निवृत्ति में, उसी जगह आपके मन मोहनी वचनों की भी बलिहारी जाते हैं । और आपके नेत्रों पर हम अपने आपको बार - बार न्यौछावर करते हैं । हे प्रभु ! आपकी अलौकिक मूर्ति के ऊपर हम अपने आपको, कितनी दफा वार फेर करते हैं । क्योंकि हे प्रीतम ! आपका नूर कहिए स्वरूप अति शोभनीक है । हे सुन्दर ! आपकी दर्शन रूप ज्योति का प्रकाश हो रहा है । हे प्राणों के प्रिय ! आप हमको बड़े सुख रूप लगते हो । आप ही हमारे प्रीतम हो । हे नाथ ! आपका अलौकिक तेज, माया आदि मल रहित निर्मल है । ऐसे स्वरूप को अब हम क्यों नहीं लेवेंगे ? हे मुख प्रीति के विषय प्रीतम ! आप हमारे हृदय में अपना प्रादुर्भाव करिये । हम आपकी बार बार बलिहारी जाते हैं ।
In whatever place I happen to live,
I shall sacrifice myself to Your Name.
To Your words I sacrifice myself;
I forego my life for Your look.
A sacrifice am I to Your form.
Again and again,
I offer myself as a sacrifice to it.
What splendor is Your radiance!
All is illumined by Your glorious light.
O my Dear One, You are my Beloved.
What is there to say of Your luster!
Why should one not attain this purity?
Dadu is a sacrifice to You,
again and again;
Come, O my Beloved.
(English translation from
"Dadu~The Compassionate Mystic"
by K. N. Upadhyaya~Radha Soami Satsang Beas)
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