मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

पद. ४१६

॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज 
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४१६. विनती । वीर विक्रम ताल ~
मनमोहन हो ! कठिन विरह की पीर, सुन्दर दरस दिखाइये ॥ टेक ॥ 
सुनहु न दीन दयाल, तव मुख बैन सुनाइये ॥ १ ॥ 
करुणामय कृपाल, सकल शिरोमणि आइये ॥ २ ॥ 
मम जीवन प्राण अधार, अविनाशी उर लाइये ॥ ३ ॥ 
इब हरि दरसन देहु, दादू प्रेम बढ़ाइये ॥ ४ ॥ 
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव परमेश्‍वर से विनती कर रहे हैं कि हे मनमोहन परमेश्‍वर ! आपके वियोग से जन्य यह विरह का दर्द हमें सता रहा है । इसलिये आप अब दया करके हमको आपका दर्शन कराइये । हे दयालु ! अब हमारी विनती सुनिये और आपके मुखारविन्द के अमृत भरे वचन हमको सुनाइये । हे सर्व - शिरोमणि करुणा - सिन्धु कृपालु ! हमारे हृदय में पधारिये । हे हमारे जीव के जीवन प्राणाधार अविनाशी मनमोहन ! अब आप हमें शीघ्र ही दर्शंन देकर अपने हृदय से लगाइये और हमारे से प्रेम बढ़ाइये ।

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