卐 सत्यराम सा 卐
दादू जब लग राम है, तब लग सेवक होइ ।
अखंडित सेवा एक रस, दादू सेवक सोइ ॥
दादू जैसा राम है, तैसी सेवा जाणि ।
पावेगा तब करेगा, दादू सो परमाणि ॥
सांई सरीखा सुमिरण कीजे, सांई सरीखा गावै ।
सांई सरीखी सेवा कीजे, तब सेवक सुख पावै ॥
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