बुधवार, 27 जनवरी 2016

= १२ =

#daduji 
卐 सत्यराम सा 卐
दादू खालिक खेलै खेल कर, बूझै बिरला कोइ ।
लेकर सुखिया ना भया, देकर सुखिया होइ ॥ 
देबे की सब भूख है, लेबे की कुछ नांहि ।
सांई मेरे सब किया, समझि देख मन मांहि ॥ 
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साभार ~ Ramjibhai Jotaniya ~
दूसरों के साथ तुलना करके दुखी होना बुद्धिमानी नहीं हैः 
अपने रंग से दुखी कौए को रंग-बिरंगे मोर ने दी शिक्षाः 
यह प्रेरक कथा अपने बच्चों को जरूर सुनाए ~
एक कौवा था। वह जहां पानी पीने जाता था उसके किनारे बरगद के पेड़ पर बहुत से बगुले रहते थे। कौआ आते जाते बगुलों को देखता। सफेद रंग के बगुले उसे बड़े प्रिय लगते थे। कौए में हीन भावना आ गई। उसे लगने लगा कि वह पक्षियों में सबसे ज्यादा कुरूप है। न आवाज ही अच्छी है न पंख सुंदर हैं और न चोंच। रंग तो ऐसा काला जिससे किसी को भी चिढ़ हो। वह दुखी रहने लगा। उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। किसी कौए को गाता सुन लेता तो उसके शरीर में तो जैसे आग ही लग जाती 
एक बगुले से उसकी गहरी दोस्ती थी। 
उस बगुले ने मित्र को उदास देखा तो कारण पूछा। कौआ बोला- तुम कितने सुंदर हो। झक सफेद तुम्हें देखकर तो मुझे अपने रंग से नफरत हो गई है। मेरा तो जीना ही बेकार है। बगुला हंसने लगा। उसने कहा- दोस्त तुमने सुंदरता कहां देखी? मैं कहां सुंदर हूं। जब भी तोते को मैं देखता हूं तो सोचता हूं कि भगवान ने मुझे चटक हरा रंग और लाल चोंच क्यों नहीं दी। जो कौआ बगुले की सुंदरता को सोचकर अवसादग्रस्त था, वह बगुला तो तोते के रंग का दीवाना निकला। कौए को बड़ा झटका लगा उसके मन में सुंदरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। खोजता-खाजता वह तोते के पास पहुंचा और बोला- तुम इतने सुंदर हो। आवाज भी मीठी है। तुम्हारे सौंदर्य से तो सभी को ईर्ष्या होती होगी। तुम्हें तो बड़ी बहुत खुशी मिलती होगी? 
तोता गंभीर हो गया। फिर बोला- मित्र अपने रंग-रूप से खुश तो मैं बहुत था लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है वह खुशी गायब हो गई। मोर के आगे तो मेरी सुंदरता कुछ भी नहीं। ईश्वर ने बड़े प्रेम से और बड़ी फुर्सत से मोर की कल्पना की होगी, उसमें रंग भरे होंगे। काश प्रभु ने मुझे केवल दो रंग देने की बजाय कुछ रंग और दे दिए होते तो मैं भी सुंदर होता। कौए को तो बड़ी हैरानी हुई। जो बगुला तोते के रंग-रूप के श्रेष्ठ मानता था, वह तोता मोर से दुखी है। कौए को लगा चक्कर क्या है. अब तो मोर को भी देखना पड़ेगा। उसने मोर का पता लिया और ढूंढ़ने निकला। सारा जंगल छान मारा लेकिन मोर कहीं नहीं दिखा। वहां एक मैना ने बताया कि जंगल के सारे मोरों को चिडि़याघर वालों ने पकड़ लिया है। कौआ चिडि़याघर गया। वहां मोर एक पिंजरे में बंद था। 
कौए ने उसके पंख देखे तो तोते की बात याद आई। वाकई भगवान ने उसे सुंदर बनाया है। रंग-बिरंगे पंख और राजा की तरह कलगी। कौए ने मोर से उसकी सुंदरता की तारीफ शुरू की तो मोर तो रोने लगा। मोर बोला- खैर मनाओ कौए कि तुम बहुत सुंदर नहीं हो। तभी आजाद हो वरना मेरी तरह किसी पिंजरे में बंद होते। मोर ने कहा- प्रिय कौए इस बात का हमेशा ख्याल रखना कि ईश्वर की किसी प्राणी के साथ कोई शत्रुता नहीं होती। वह किसी में बहुत गुण देते हैं तो किसी में कम गुण रखते हैं। वह उसके पूर्वजन्म के कर्मों का फल होता है। फिर भी ईश्वर इस जन्म में पूर्वजन्म के कर्मों को सुधारने का मौका देते हैं। 
प्रभु यदि किसी में बहुत गुण देते हैं तो साथ ही उसकी परीक्षा के लिए अहंकार भी डाल देते हैं। यदि गुणी व्यक्ति अहंकार को जीत लेता है तो उसका गुण हमेशा के लिए बना रहता है, अन्यथा जो गति मेरी है वही होती है। दूसरों के साथ तुलना करके दुखी होना बुद्धिमानी नहीं है। 
ईश्वर ने तमाम कमियों के बीच हमारे अंदर कुछ गुण छिपाकर रखे होते हैं। हमें उनकी पहचान करनी है और अच्छे कार्यों से उसे उभारना होता है। अपने बच्चों को ये कथाएं जरूर सुनायें 

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