मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

= विन्दु (२)६८ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏
https://www.facebook.com/DADUVANI
*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
.
*= विन्दु ६८ =*
*= जहाज संतारण =*
.
राजा यह प्रसंग सुन ही रहा था कि अकस्मात् दादूजी के चोले की बाँह से पानी गिरा उसे देखकर राजा मानसिंह आदि जो वहां बैठे थे सबको अति आश्चर्य हुआ कि यह क्या लीला है ? पानी तो यहां पास में भी नहीं था, चोले की बाँह में कहां से आया । फिर राजा मानसिंह ने पूछा - भगवान् ! यह पानी आपके चोले की बाँह में कहां से आया था ? इसका यथार्थ रहस्य हमें बताने की कृपा अवश्य करैं ।
.
तब दादूजी ने कहा - समुद्र में एक व्यापारियों का जहाज डूब रहा था । उन व्यापारियों ने जहाज को बचाने के सब उपाय कर लिये थे और अपने-अपने इष्ट देवों की भी सबने प्रार्थना करली थी, किंतु फिर भी वह डूब ही रहा था तब उस जहाज में दो संत भी बैठे थे ।
.
उन दोनों संतों ने व्यापारियों को प्रेरणा की कि तुम संत दादूजी से प्रार्थना करो, दादूजी की कृपा से जहाज अवश्य बच जायगा । तब सब ने मिलकर मेरे राम से प्रार्थना करी । उनकी प्रार्थना सुनकर फिर मैं सुरति रूप शरीर से वहां गया और मैंने सुरति(वृत्ति) रूप शरीर से एक पद के द्वारा प्रभु से प्रार्थना की कि हे प्रभो ! इस जहाज को बचाइये ।
.
प्रार्थना करके वृत्तिरूप शरीर(संकल्प से बने शरीर) से ही मैंने उसके हाथ का सहारा लगया था किंतु परमात्मा ने आप लोगों को प्रत्यक्ष रूप में इस स्थूल शरीर के चोले की बाँह से दिखा दिया है । यह जल समुद्र का ही है तुम इसे चखकर देख सकते हो । फिर राजा ने स्वयं स्वामीजी के चोले की बाँह निचोड़ कर जल चक्खा तो वह समुद्र का ही था, फिर राजा ने प्रार्थना की, भगवन् ! आपने कहा था एक पद से प्रभु की प्रार्थना की थी वह पद भी हमारे को सुनाकर हम सबको कृतार्थ करिये ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें