शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

= विन्दु (२)६८ =

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*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
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*= विन्दु ६८ =*
*= हिंगोलगिरि आदि का आमेर आना =*
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उस जहाज में सात सौ मनुष्य थे और सात कोटि का माल भरा था । हमारी बात सुनकर रज्जब आदि साहूकारों ने कहा - आप कहते हैं वैसा ही हम करेंगे और पहले हम यह संकल्प भी करते हैं कि 'दादूजी हमारी जहाज तार देंगे तो हम इस जहाज में सात कोटि का माल है, साढ़े तीन कोटि पुण्य में लगा देंगे ।
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यह कहकर सब साहूकार, सब यात्री तथा हम दोनों जहाज के ऊपर के खंड पर चढ़कर आपसे सबने प्रार्थना कि - "हे दादूजी महाराज ! हमारी जहाज को तार दीजिये, हम सब आपकी शरण हैं और इसका आधा माल पुण्य में लगा देंगे ।" ऐसा कहकर 'दादू-दादू' जोर-जोर से बोलने लगे ।
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बस उसी समय सहसा जहाज का जितना हिस्सा डूबा था वह ऊपर आ गया और हम सबका दुःख नष्ट हो गया । यदि कुछ ही क्षण हम लोग आपसे प्रार्थना नहीं करते तो जहाज औए सब मनुष्य तथा माल सनुद्र में डूब जाते ।
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भगवन् ! उन साहूकारों ने साढ़े तीन कोटि धन को पुण्य में लगा दिया है, उसी में से यह आपकी सेवा में भेंट रूप से भेजा है । अतः आप कृपा करके इसे स्वीकार करें । हिंगोलगिरि की उक्त बात सुनकर दादूजी ने कहा - महात्माजी ! हम धन का क्या करेंगे, यह गरीबों को खिला दो और बाँट दो ।
(क्रमशः)

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