सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

= ४० =

#daduji 
卐 सत्यराम सा 卐
सो दशा कतहूँ रही, जिहिं दिश पहुँचे साध ।
मैं तैं मूरख गहि रहे, लोभ बड़ाई वाद ॥
दादू भेष बहुत संसार में, हरिजन विरला कोइ ।
हरिजन राता राम सौं, दादू एकै होइ ॥
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साभार ~ Ramgopal Goyal Rotiram ~

जिन - जिन को छुट्टी मिली, जिम्मे घर परिवार।
बच्चे Settel हो गए, Service या व्यापार।।
उन - उनको अब चाहिए, कि वे जापें हरिनाम।
क्योंकि वहाँ बस नाम ही, केवल आता काम।।
मगर नहीं जो मानते, अब भी धन रहे जोड।
पा इतनी अनुकूलता, भी रहे हड्डी तोड।।
बोलो उनको शास्त्र क्यों? दे ज्ञानी का नाम।
शास्त्र नजर में मूर्ख हैं, वे सब "रोटीराम"।।
भले अयोध्या - द्वारका, बृंदावन - ऋषिकेश ।
जाकर सालों तक रहो, और बदल लो वेष।।
लेकिन रह क्या? पाओगे, गर न जप रहे "नाम"।
क्योंकि नाम बिन दें नहीं, ये फल सारे धाम।।
फैशन सा है हो गया, धाम वास का आज।
गलत सोच ली मन बिठा, कि छोड जाय यमराज।।
जबकि न बचने वे कभी, यम से "रोटीराम"।
ऐसों ने ही कर दिया, धामों को बदनाम।।

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