सोमवार, 1 फ़रवरी 2016

= २७ =

卐 सत्यराम सा 卐
काल न सूझै कंध पर, मन चितवै बहु आश ।
दादू जीव जाणै नहीं, कठिन काल की पाश ॥ 
दादू काल हमारे कंध चढ, सदा बजावै तूर ।
कालहरण कर्त्ता पुरुष, क्यों न सँभाले शूर ॥
जहाँ जहाँ दादू पग धरै, तहाँ काल का फंध ।
सर ऊपर सांधे खड़ा, अजहुँ न चेते अंध ॥ 
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साभार ~ Manoj Puri Goswami

~ मधु बिन्दु ~
मैने एक कथा सुनी………
एक व्यक्ति घने जंगल में अंधेरे से भागा जा रहा था कि एक कुंए में गिरने को हुआ। गिरते गिरते उसके हाथ में कुएं पर झुके वृक्ष की ड़ाल आ गई। वहां कुछ प्रकाश भी था। उसनें नीचें झांका तो कुएं में चार विकराल अजगर मुंह फाड़े उपर ताक रहे थे। वे उसके गिरने का इन्तज़ार ही कर रहे थे। उसनें आस पास देखा तो, जिस डाल को पकड़ वह लटक रहा था, दो चुहे, एक काला एक सफेद, उसी डाल को कुतर रहे थे। इतनें में एक विशाल हाथी कहीं से चला आया और अपनी सूंढ़ से वृक्ष के तने को पकड़ कर हिलाने लगा। वह व्यक्ति डर से सिहर उठा। ठीक उपर की शाखा पर मधुमक्खी का छत्ता था, हाथी के हिलाने से मक्खियाँ उडने लगी।
छत्ते से शहद-बिंदु टपकने लगा। एक बिंदु टपककर उसकी नाक से होता हुआ होठों तक आ पहुँचा। उस व्यक्ति ने प्यास से सूख रही अपनी जीभ को होठों पर फेरा, एक छोटे से मधु बिन्दु में अनंत आनन्द भरा मधुर स्वाद था। उसे लगा जैसे जीवन में मुझे इसी मिठास की तलाश थी, यही मेरा चीर-प्रतिक्षित उद्देश्य था। उसने मुंह उपर किया, कुछ क्षणों बाद फ़िर मधु-बिन्दु मुंह में टपका। वह मस्त हो गया। बेताबी से अगली बूंद का इन्तजार करता। और फिर रसास्वादन कर प्रसन्न हो उठता। आस पास खड़ी विपत्तियों को भूल चुका था। हवा में लटका, हाथी पेड गिराने पर आमदा, चुहे डाल कुतरने में व्यस्त और नीचे चार अज़गर उसका निवाला बना देने को आतुर। किन्तु वह तो एक एक बिन्दु का स्वाद लेने में मस्त था।
उसी जंगल से शिव-पार्वती अपने विमान से गुज़र रहे थे। पार्वती नें उस मानव की दुखद स्थिति को देखा और शिव से उसे बचा लेने का अनुरोध किया। भगवान शिव नें विमान को उसके निकट ले जाते हुए हाथ बढाया और उस व्यक्ति को कहा- मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं, आओ, विमान में आ जाओ, मै तुम्हें तुम्हारे इच्छित स्थान पर छोड दूँगा। उस व्यक्ति नें कहा- ठहरिए भगवन् एक शहद बिन्दु चाट लूं तो चलुं। एक बिन्दु फिर एक बिन्दु। हर बिन्दु के बाद, अगले बिन्दु के लिए उसकी प्रतिक्षा प्रबल हो जाती। उसके आने की प्रतिक्षा में थक कर आखिर, भगवान शिव ने विमान आगे बढ़ा दिया।
आप इस कथा का सटीक भावार्थ बताएं, क्या कहना चाहती है यह कथा?
प्रतीक हिंट्स:
*.घने जंगल का अंधेरा = अज्ञान
*.डाली = आयुष्य
*.काले सफेद चुहे = दिन रात
*.चार अज़गर = चार गति
*.हाथी =घमंड़, अभिमान
*.मधु बिन्दु = संसार-सुख
*.शिव = कल्याण (मुक्ति) उपदेश
*.पार्वती = शक्ति, पुरूषार्थ प्रेरणा
आप कथा के अपने दृष्टिकोण से भाव प्रकट करने में स्वतंत्र है।

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