शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

= ९३ =

#daduji 
दादू कर सांई की चाकरी, ये हरि नाम न छोड़ ।
जाना है उस देश को, प्रीति पिया सौं जोड़ ॥ 
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साभार ~ Rp Tripathi ~
**** एक कल्याणकारी चिंतन **** 

सम्मानित मित्रो विचार करें :-- 
1. सृष्टि के सम्पूर्ण प्राणियों का जीवन ; जिन स्वांशों से संचालित है ; उन स्वांशों का प्रदाता ; इस प्रकृति का मालिक ; सिर्फ एक परमेश्वर है !! 

2. उस परमेश्वर की मर्जी के वगैर ; 
कोई भी व्यक्ति दूसरों के लिए तो क्या ? स्वयं के लिए भी ; एक स्वांश का भी जीवन ; स्वतन्त्र रूप से प्रदान नहीं कर सकता !! 

3. स्वांश ही क्या ? 
स्वांश में उपस्थित बाधा ; जिसे छींक आना कहते हैं ; उसे भी स्वतन्त्र रूप से रोकने की ; किसी में भी सामर्थ नहीं है !! 

अतः मित्रो ; 
4. क्यों ना हम उस परम-शक्तिशाली ; परम-हितैषी के ; प्रिय बनें ? 

5. अर्थात ; 
जिस तरह वह संसार में धर्म ; अर्थात परोपकार का मार्ग दिखाने आता है ; उसी तरह हम भी उसके अनुयायी बन ; उसकी ही दी हुई स्वांशों के बल से ; अपना जीवन भी धार्मिक ; अर्थात सम्पूर्ण सृष्टि के लिए कल्याणकारी-प्रयोजनों में व्यतीत कर ; निश्चिंतता का जीवन जियें !! 

6. क्योंकि ; 
जिस तरह किसी भी देश के क़ानून की रक्षा करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी ; उस देश की सरकार की होती है ; उसी तरह ; इस सृष्टि के क़ानून(परोपकार/धर्म) की रक्षा करने की जिम्मेदारी ; उस परमेश्वर की है !! 

उपरोक्त चिंतन से ; सहमत हैं ना मित्रो ? 

******** ॐ कृष्णम् वन्दे जगत गुरुम ********



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