卐 सत्यराम सा 卐
सदा लीन आनन्द में, सहज रूप सब ठौर ।
दादू देखै एक को, दूजा नाहीं और ॥
दादू जहँ तहँ साथी संग है, मेरे सदा अनंद ।
नैन बैन हिरदै रहै, पूरण परमानंद ॥
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साभार ~ Anand Nareliya ~
स्वर्ग और पृथ्वी का आलिंगन—(प्रवचन—पैंसठवां)...osho
परमात्मा का उपयोग करने की कभी भूल कर मत सोचना; जीवन का उपयोग करने की कभी भूल कर मत सोचना। जीवन को व्यर्थ गंवाना हो तो तरकीब है यह कि उसका कुछ उपयोग सोचना। और जीवन का सच में कुछ उपयोग कर लेना हो तो उपयोग की बात ही छोड़ देना, और जीवन को आनंद की तरह, उत्सव की तरह लेना।
लेकिन हम परमात्मा का भी उपयोग करते हैं। इसलिए जब हम दुख में होते हैं तब हम परमात्मा की तरफ जाते हैं। क्योंकि सुख में उसका कोई उपयोग नहीं है। क्या उपयोग है? सुख में कोई परमात्मा को याद नहीं करता। कोई जरूरत ही नहीं तो याद क्या करना!
मैंने सुना है, एक ईसाई घर में मां अपने बेटे से सुबह पूछ रही है कि रात तूने प्रार्थना की या नहीं? तो उसने कहा, रात तो कोई जरूरत ही नहीं थी, सभी कुछ ठीक था; प्रार्थना का कोई सवाल ही न था।
प्रार्थना तो हम तभी करते हैं…। आज ही मैं किसी का जीवन पढ़ रहा था। उसकी पत्नी कार में एक दुर्घटना में चोट खा गई। उसके पहले कभी वह चर्च नहीं गई थी। लेकिन इस रविवार को वह चर्च पहुंची। हाथ पर, पैर पर पट्टियां बंधी हैं। चर्च का पादरी भी चौंका, क्योंकि वह महिला कभी चर्च आई नहीं थी, पति सदा अकेला ही आता था। प्रवचन के बाद जब लोग चर्च से विदा होने लगे तो पादरी ने महिला को रोक कर कहा, क्या ज्यादा घबड़ा गई हो दुर्घटना से, क्योंकि चर्च आने का और कोई कारण नहीं दिखाई पड़ता।
दुख में जब हम होते हैं तो परमात्मा की याद आती है; क्योंकि अब उसका कुछ उपयोग हो सकता है। सुख में हम होते हैं तो हम उससे बचना ही चाहेंगे; कहीं उधार मांगने लगे, कुछ और उपद्रव…। परमात्मा भी मिलना चाहे आप जब सुख में हों, तो आप कहेंगे, अभी ठहरो, अभी कोई जरूरत नहीं। प्रार्थना करते हैं तो कुछ मांगने के लिए, स्मरण करते हैं तो कुछ मांगने के लिए।
लाओत्से कहता है, ध्यान रखना, उसका कोई भी उपयोग नहीं हो सकता। और जब तक तुम उपयोग की भाषा में सोचते हो तब तक तुम्हारा उससे कोई संबंध नहीं हो सकता। जिस दिन उपयोग की भाषा बंद और उत्सव की भाषा शुरू, उस दिन परमात्मा से संबंध हो जाता है। फिर चाहे मंदिर जाओ, न जाओ; फिर चाहे उसका स्मरण करो, न करो; फिर चाहे धर्म की ऊपरी व्यवस्था से तुम्हारा नाता बने, न बने; लेकिन जीवन को उत्सव में जो बदल लेता है, वह जीवन को प्रार्थना में बदल लेता है।
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