卐 सत्यराम सा 卐
पहले हम सब कुछ किया, भरम करम संसार ।
दादू अनुभव उपजी, राते सिरजनहार ॥
सोई अनुभव सोई ऊपजी, सोई शब्द तव सार ।
सुनतां ही साहिब मिले, मन के जाहिं विकार ॥
===============================
साभार ~ Kishor Jatoliya ~ मानो मत जानो...
=========
मैंने सुना है, एक अमरीकी निर्जन रास्ते पर दो यात्री रुके। रुकना पड़ा, क्योंकि सामने ही बड़ी तख्ती लगी थी: 'द रोड इज क्लोज्ड।' रास्ता बंद है। लेकिन तख्ती के पास से ही उन्होंने देखा कि अभी-अभी गई गाड़ी के, कार के निशान हैं। तो फिर उन्होंने तख्ती की फिक्र न की। फिर उन्होंने उन निशानों का पीछा किया। वे आगे बढ़ गये। तीन मील बाद वह रास्ता टूट गया था, पुल गिर गया था, और उन्हें वापिस लौटने के सिवाय कोई उपाय न था। उनमें से एक ने दूसरे को कहा, हमने तख्ती पर भरोसा क्यों नहीं किया? दोनों वापिस लौटे तो तख्ती की दूसरी तरफ नजर पड़ी, जहां लिखा था, 'अब भरोसा आया न कि रास्ता बंद है?'
तुम्हारी जिंदगी भी करीब-करीब ऐसी है। तख्तियों पर सब लिखा है। वे तख्तियां ही शास्त्र हैं। लेकिन तुम उनकी न सुनोगे, जब तक तुम्हारा अनुभव ही तुम्हें न बता दे कि वे सच हैं। अनुभव के अतिरिक्त सच को जानने का कोई उपाय भी नहीं है।
"ओशो"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें