शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

= विन्दु (२)८६ =

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॥ दादूराम सत्यराम ॥
**श्री दादू चरितामृत(भाग-२)** लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥

**= अथ विन्दु ८६ =**

**= डीडवाने पधारना =**
किरड़ोली में दादूजी महाराज पधारे हुये हैं, यह सुनकर डीडवाना के गोपालदासजी माहेश्वरी महाजन की इच्छा हुई कि दादूजी महाराज को डीडवाने लाना चहिए । उनसे मेरे को तथा यहां की जनता को भारी लाभ ही मिलेगा । संत दर्शन तथा सत्संग तो प्राणी के कल्याण का ही साधन है । यह तो अति प्रसिद्ध ही है । अतः उनको यहाँ लाकर दर्शन, सत्संग का लाभ उठाना ही चाहिये । फिर गोपालदासजी किरड़ोली गये, दादूजी के दर्शन करके अति प्रसन्न हुये फिर प्रणामादि शिष्टाचार के पश्चात् अवसर देखकर गोपालदास भक्त ने दादूजी से प्रार्थना की - स्वामिन् ! आप डीडवाने अवश्य पधारने की कृपा करें । दादूजी महाराज ने गोपालदास भक्त का शुद्ध प्रेम देखकर स्वीकार कर लिया । फिर किरड़ोली से गोपालदास भक्त के साथ डीडवाने पधारे । 
गोपालदास भक्त संतों को नगर के बाहर ठहरा कर नगर में गये फिर भक्त मंडल के साथ संकीर्तन करते हुये दादूजी को लेने दादूजी के सामने आये । प्रणाम, पूजा आदिक शिष्टाचार के पश्चात् बड़े सत्कार से नगर में ले गये और एक अच्छे एकान्त स्थान में ठहराया । वहां सब प्रकार की सेवा की व्यवस्था कर दी गई । अब प्रतिदिन सत्संग होने लगा, नगर के भक्त बहुत प्रेम से संतों के प्रवचन सुनने लगे और परमानन्द प्राप्त करने लगे । 

(क्रमशः)

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