मंगलवार, 11 अक्तूबर 2016

= विन्दु (२)८६ =

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॥ दादूराम सत्यराम ॥
**श्री दादू चरितामृत(भाग-२)** लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥

**= विन्दु ८६ =**

तीन मास करडाला में निवास करने के पश्चात् मारवाड़ के कुछ भक्त करडाले आये और बोले - भगवन् ! हमारे ग्रामों पर कृपा करो और विशेष रूप से खोजीजी आपको बहुत याद करते हैं । उन्होंने निवेदन किया है कि मेरी ओर से दादूजी महाराज को कहना, एक बार तो मेरे यहां पधारने की कृपा अवश्य करें । फिर उन भक्तों की प्रार्थना पर उनके ग्रामों में होते हुये दादूजी अपने शिष्यों के सहित पालड़ी के आसपास पहुंचे तब खोजीजी को ज्ञात हो गया । फिर खोजी ने अपने भक्तों को भेजकर दादूजी को पालड़ी बुलवाया । भक्तों ने जाकर प्रार्थना की । उसे दादूजी ने स्वीकार कर ली ।

**= खोजीजी के पधारना =** 
दादूजी जब पालड़ी के अधिक समीप के ग्रामों में आ गये, तब खोजीजी ने कुछ अपने भक्तों को दादूजी के पास भेजा और कहा तुम लोग दादूजी को यहां लेकर ही आना । वे लोग दादूजी के पास गये और प्रार्थना करके दादूजी को ले आये । पालड़ी के बाहर एक स्थान पर ठहराया । फिर खोजीजी भक्त मंडल के साथ संकीर्तन करते हुये दादूजी को लेने सामने आये । प्रणामादि शिष्टाचार हो जाने पर अति सत्कार पूर्वक शिष्यों के सहित दादूजी को ग्राम में ले गये और एक अच्छे एकान्त स्थान में दादूजी को ठहराया और संत सेवा का पूरा - पूरा प्रबन्ध कर दिया गया । फिर दादूजी पर अति प्रेम रखने वाले खोजीजी ने एक दिन मेला भराने का विचार किया । 
(क्रमशः)

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