रविवार, 9 अक्तूबर 2016

=३१=

卐 सत्यराम सा 卐
विष अमृत घट में बसै, विरला जानै कोइ ।
जिन विष खाया ते मुये, अमर अमी सौं होइ ॥ 
दादू सब ही मर रहे, जीवे नांही कोइ ।
सोई कहिये जीवता, जे कलि अजरावर होइ ॥ 
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साभार ~ @Nitin Garg(wtsap) ~ जरुर पढें

## पाण्डवों का अज्ञातवास समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था। पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल में छुपने का स्थान ढूढं रहे थे। 

## उधर शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पडी शनिदेव के मन में विचार आया कि इन सब में बुधिमान कौन है परिक्षा ली जाय। देव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे, पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण। अचानक भीम की नजर महल पर पडी और वो आकर्षित हो गया, भीम यधिष्ठिर से बोला - भैया मुझे महल देखना है भाई ने कहा जाओ ।

## भीम महल के द्वार पर पहुँचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे, भीम बोला- मुझे महल देखना है! शनिदेव ने कहा - महल देखने की कुछ शर्त है ~
शर्त 1 - महल में चार कोने में से आप एक ही कोना देख सकते हैं।
शर्त 2 - महल में जो देखोगे उसकी सार सहित व्याख्या करोगे।
शर्त 3 - अगर व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जावोगे।
भीम ने कहा - मैं स्वीकार करता हूँ ऐसा ही होगा ।
और वह महल के पूर्व छोर की और गया, वहां जाकर उसने अद्भुत पशु पक्षी और फुलों एवं फलों से लदे वृक्षों का नजारा किया, आगे जाकर देखता है कि तीन कूऐ हैं अगल-बगल में छोटे कूऐ और बीच में एक बडा कुआ। बीच वाले बडे कुए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओ को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओ में उफान आता है तो खाली पडे बडे कुऐ का पानी आधा रह जाता है, इस क्रिया को भीम कई बार देखता है, पर समझ नहीं पाता और लौट कर महल के दरबान के पास आता है।
दरबान - क्या देखा आपने? भीम- महाशय मेंने पेड पौधे पशु पक्षी देखे वो मेंने पहले कभी नहीं देखे थे जो अजीब थे। एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुऐ पानी से भर जाते है बडा क्यो नहीं भर पाता ये समझ में नहीं आया। दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये है और बंदी घर में बैठा दिया।

## अर्जुन आया बोला - मुझे महल देखना है, दरबान ने शर्त बता दी और अर्जुन पश्चिम वाले छोर की तरफ चला गया। आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है, एक खेत मे दो फसल उग रही थी एक तरफ बाजरे की फसल दुसरी तरफ मक्का की फसल । बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया। 
दरबान ने पुछा क्या देखा, अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की बात समझ मे नहीं आई। दरबान ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं ।

## नकुल आया बोला मुझे महल देखना है, फिर वह उतर दिशा की और गया वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बाछियों का दुध पीती हैं उसके कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया ।
देव ने पुछा क्या देखा? नकुल बोला महाशय गाय बाछियों का दुध पीती हैं यह समझ नहींही आया तब उसे भी बंदी बना लिया।

## सहदेव आया बोला मुझे महल देखना है और वह दक्षिण दिशा की और गया अंतिम कोना देखने के लिए, क्या देखता है कि वहां पर एक सोने की बडी शिला एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है समझ नहीं आया वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ मे नहीं, आई तब वह भी बंदी हो गया।

## चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित महल में गये। भाईयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी हैं।
युधिष्ठिर बोले भीम तुमने क्या देखा ? भीम ने कुऐ के बारे में बताया, तब युधिष्ठिर ने कहा - यह कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगें। भीम को छोड दिया।
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा ?? उसने फसल के बारे में बताया, युधिष्ठिर ने कहा - यह भी कलियुग में होने वाला है वंश परिवर्तन अर्थात ब्राहमन के घर बनिये की लडकी और बनिये के घर शुद्र की लडकी ब्याही जायेगी। अर्जुन भी छूट गया।
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया, तब युधिष्ठिर ने कहा - कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेगी बेटी का दाना खायेगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे । तब नकुल भी छूट गया।
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतान्त बताया, तब युधिष्ठिर बोले - कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी जीवित रहेगा खत्म नहीं होगा।

## आज के कलयुग में यह सारी बाते सच साबित हो रही हैं।

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