🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*(ग्रन्थ ५) स्वप्नप्रबोध*
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*स्वप्नै सूरा तन कियौ, स्वप्नै चाल्यौ भागि ।*
*दोऊ मिथ्या ह्वै गये, सुन्दर देख्यौ जागि ॥७॥*
स्वप्न में कोई बड़े भारी युद्ध में हजारों आदमियों को मार गिरावे या फिर दूसरा एक आदमी के मुकाबले में ही पीठ दिखा बैठे; जागने पर पहले को न अपनी वीरता का अभिमान होता है और न दूसरे को अपनी कायरता पर ग्लानि । क्योंकि वे दोनों ही स्वप्नावस्था की अयथार्थता को जान जाते हैं ॥७॥
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*स्वप्नै गयो प्रदेश में, स्वप्नै आयौ भौंन ।*
*सुन्दर जाग्यौ स्वप्न तें, आयौ गयौ सु कौंन ॥८॥*
स्वप्न में कोई अपने घर से दूर विदेश चला जाय, दूसरा विदेश से अपने घर पहुँच जाय; जागने पर स्वप्न का मिथ्यात्व जानकर वे समझ जाते हैं कि हम दोनों में से कोई कहीं नहीं गया ॥८॥
(क्रमशः)
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