गुरुवार, 16 मार्च 2017

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卐 सत्यराम सा 卐
*काल चेतावनी*
काल काया गढ़ भेलसी, छीजे दशों दुवारो रे ।
देखतड़ां ते लूटिये, होसी हाहाकारो रे ॥ टेक ॥
नाइक नगर नें मेल्हसी, एकलड़ो ते जाये रे ।
संग न साथी कोइ न आसी, तहँ को जाणे किम थाये रे ॥ १ ॥
सत जत साधो माहरा भाईड़ा, कांई सुकृत लीजे सारो रे ।
मारग विषम चालिबो, कांई लीजे प्राण अधारो रे ॥ २ ॥
जिमि नीर निवाणा ठाहरे, तिमि साजी बांधो पालो रे ।
समर्थ सोई सेविये, तो काया न लागे कालो रे ॥ ३ ॥
दादू मन घर आणिये, तो निहचल थिर थाये रे ।
प्राणी नें पूरो मिलै, तो काया न मेल्ही जाये रे ॥ ४ ॥
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साभार ~ Mahant Ramgopal Das Tapasvi
##### गोरखवाणी #####
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ब्रह्माण्ड फूटिया नगर सब लूटिया,
कोई न जांणबा भेवे ।
बदंत गोरखनाथ प्यंड दर जब घेरिया,
तब पकङिया पंच देवं ॥११२॥
गोरखनाथ जी कहते है - हे मानव ! काल जब देहद्वार पर आकर खङा होगा, तब यह भाण्डा(तन) फूट जायेगा, बङे अरमानों से पलित और सज्जित सुंदर कायानगर पल भर में लुट जावेगा, पंचतत्व(पृथ्वी,जल, अग्नि आकाश तथा जल) अपने-अपने मूलस्वरूप में विलीन हो जायेगा । और विशेष बात तो यह है कि इस सारे काण्ड का रहस्य न तो अभी तक किसी के समझ में आया है और न ही आगे आने वाला है ।
#### संस्कार बिन्दु पत्रिका ***साँभरलेक जयपुर ॥
^^^^^//सत्य राम सा

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