सोमवार, 13 मार्च 2017

= १२५ =

卐 सत्यराम सा 卐
साच न सूझै जब लगै, तब लग लोचन अंध ।
दादू मुक्ता छाड़ कर, गल में घाल्या फंद ॥ 
==========================
साभार ~ Rupa Grover

(((((((( ईश्वर का त्याग...!! ))))))))
.
दो मित्र थे. दोनों साथ-साथ बड़े हुए और दोनों ने लगभग एक ही समय आजीविका के लिए संघर्ष आरंभ किया. एक धार्मिक स्वभाव का था. भगवान की पूजा-अर्चना के बाद प्रार्थना करता कि उससे भूले से भी कुछ अनुचित न होने पाए. साधारण नौकरी थी लेकिन वह संतुष्ट था.
.
जहां नौकरी करता वहां उसके धार्मिक स्वभाव और अच्छे आचरण से सब उसका सम्मान करते. अपने सुख-दुख बांटते. छोटे-बड़े सभी से भरपूर सम्मान मिलता.
.
दूसरा मित्र एकदम नास्तिक और धन के पीछे पागल था. भोग-विलास में डूबा रहता. पैसे कमाने के लिए सही-गलत किसी भी तरीके से उसे परहेज न था.
.
स्वयं धन का लोभी था, पत्नी फिजूल खर्च. इससे घर में क्लेश होता. किसी के आड़े वक्त में खड़ा न होता. पैसे के अलावा उसका कोई मित्र न था.
.
जब ईश्वर में ही विश्वास न हो तो दान-पुण्य की बात ही क्या ! पैसे के कारण उसने बहुत सारे शत्रु भी बहुत बना लिए थे. जान का भय रहता.
.
स्वभाव से एकदम अलग होने के बाद भी दोनों की मित्रता बनी रही. एक दिन दोनों की भेंट हो गई. पहले मित्र ने दूसरे से घर चलने को कहा और साथ कर लिया.
.
रास्ते भर लोग उससे मिलते रहे. उसका हाल-चाल पूछते रहे. वह उनका हाल-चाल पूछता रहा. समाज में मिल रहे इस सम्मान से उसका मित्र चकित था.
.
उसे लगा कि शायद उसके मित्र ने भी बहुत धन कमा लिया है इसलिए उसकी बड़ी पूछ है लेकिन जब घर पहुंचा तो बहुत साधारण रहन-सहन था.
.
नास्तिक ने अपने मित्र से कहा- तुम्हारे त्याग की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है. भगवान की भक्ति में सारा ऐशो-आराम त्याग दिया. तुम खुश कैसे रह लेते हो ?
.
ईश्वरभक्त मित्र ने उत्तर दिया- मित्र ! मैं अपने जीवन से बहुत संतुष्ट हूं. लेकिन तुम्हारा त्याग मुझसे ज्यादा बड़ा है.
.
तुमने तो संसार का ऐशो-आराम पाने के लिए ईश्वर का ही त्याग कर दिया. तुम अपने जीवन से खुश तो हो न ?
.
उसकी आंखें खुली रह गईं. उसे अपने असंतोष और कष्ट का कारण समझ में आने लगा. जीवन की सारी उलझनें बताईं और जीवन की दिशा बदलने का प्रण किया.
.
ईश्वर की परम सत्ता है. बहुत से लोग कहते हैं कि ईश्वर है कहां ! जिसका भय हमें अनुचित करने से रोककर अच्छा इंसान बनने को प्रेरित करता हो, उसकी मौजदूगी का और क्या प्रमाण चाहिए ?
.
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
.
.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें