मंगलवार, 21 मार्च 2017

= १४१ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
कलियुग कूकर कलमुँहा, उठ-उठ लागै धाइ ।
दादू क्यों करि छूटिये, कलियुग बड़ी बलाइ ॥ 
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साभार ~ Krishnacharandas Aurobindo 
प्रचेताओं ने दस लाख दिव्य{(१ दिव्य वर्ष = ३६० वर्ष)=३६०००००००} वर्ष पूर्ण बलवान रहते हुए राज्यशासन किया। उनको तपस्या के लिये जाते समय ही भगवान शिव ने माता पार्वती तथा अपने गणों सहित प्रकट होकर दर्शन दिया तथा योगादेश स्तोत्र का उपदेश किया जिसकी साधना १०००० वर्ष प्रचेताओं ने सागर के जलमें खडे होकर की, तब भगवान ने उन्हें अतिप्रसन्न होकर दर्शन दिया।
महाराज प्रियव्रत ने ११ अर्बुद(अरब) वर्ष तक पृथ्वी का शासन किया। राजा प्रियव्रत ने अपने ज्योतिर्मय(दिव्य प्रकाशमय) रथ से सूर्य के पीछे पीछे पृथ्वी की सात परिक्रमा कर डाली और रथ के पहियों से जो लीकें बनी वे सात समुद्र हो गये; उनसे पृथ्वी में सात द्वीप हो गये। सात समुद्र क्रमशः खारे जल, ईख के रस, मदिरा, घी, दुध, मठ्ठे, मीठे जल से भरे हुए हैं। ये सातों द्वीपों की खाईयों की तरह हैं। 
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*जम्बुद्वीप को घेरकर खारे जल का समुद्र है। 
*जिसको घेरकर प्लक्षद्वीप है, उसके चारों ओर ईख के रस का समुद्र है। 
*उसे शाल्मलिद्वीप घेरे है, उसके चारों ओर मदिरा का समुद्र है। 
*फिर कुशद्वीप हैं, उसे घेर कर घी का समुद्र है । 
*उसके बाहर क्रौञ्चद्वीप दुध के समुद्र से घिरा है। 
*फिर शाकद्वीप को घेरे मठ्ठे का सागर है। 
*उसके चारों ओर पुष्करद्वीप है जिसे मीठे जल के समुद्र ने घेरा है। 
ये सप्त पृथ्वी और सप्त सागर कोई परिकल्पना नहीं लेकिन इस कलियुग में मनुष्य के कर्म और स्वभाव ही उसे खारे समुद्र के पार अन्य द्वीप या सागर के दर्शन से वञ्चित रखता है।
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महाराज भरत के एक करोड वर्ष के दिव्य राज्यशासन से अजनाभखण्ड का नामान्तरण भारतवर्ष हुआ। महाराज भरत ने भगवत् अर्पण बुध्दि से असंख्यात यज्ञ कर उनका अदृश्य भगवान को अर्पण किया और अंत में पुलहाश्रम(हरिहर क्षेत्र)चले गये जहाँ पर रहनेवालों पर भगवान वात्सल्य भाव से कृपा करते हैं। वहाँ एकचक्रा(गण्डकी) नदी में चक्राकार शालग्राम शिला को प्राप्त करने पूरे भारत से भक्त तुलसी विवाह के समय जाते हैं।
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ऐसे हमारे दिव्य भारत भूमी का इस कलियुग में बहुत बुरा हाल हुआ है। लोगों की सनातन धर्म के प्रति अरुचि से समाज का घोर पतन हो गया है और जैसे लोग, वैसे ही उनके नेता भी बिना साधन-भजन के मनमाना आचरण कर विनाश की ओर निरंतर बढ रहे हैं। भगवान के बिना न गौमाता की न भारत की न संसार की कोई रक्षा कर पाने में सक्षम है। पूरी निष्ठा के साथ सनातन धर्म का पालन और भगवान की शरण में जो रहेगा वही इस महाविनाश के बाद नये युग को देख पायेगा। बाकी लोगों को जाना ही होगा महाविनाश की आँधी में....!!!

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