गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/२२-३) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= श्रवनूं की गुरु से प्रार्थना =*
*श्रवनूं मानी सत्य करि, गुरु कौं कियौ प्रणाम ।*
*तुम हमारी रक्षा करी, मरि जाते बेकाम ॥२२॥*
श्रवनूं ने गुरुदेव की इस बात को सत्य माना, और अपनी कृतज्ञता-ज्ञापन करने के लिए प्रणाम किया और निवेदन किया- "प्रभो ! आपने इन ठगों से हम को सचेत कर हमारी रक्षा कर दी । नहीं तो हम बेकार इन लोगों के हाथों मारे जाते !" ॥२२॥
*ज्यौं हम छूटहिं ठगनि तैं, सो भाखहु गुरुदेव ।*
*भिन्न भिन्न समुझाइ करि, हमहिं बताबहु भेव ॥२३॥* 
"गुरुदेव ! अब हमें वह उपाय(रास्ता) भी बता दीजिये, जिससे हमको इन ठगों से जल्दी से जल्दी छुटकारा मिल जाय । यह बात हमें बहुत साफ सीधे शब्दों में समझा दीजिये" ॥२३॥  
(क्रमशः)

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