🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= पिता का प्रश्न =*
*यह सुनि मन कौं भय भयौ, कहनै लागौ वोहि ।*
*तैं इह बात कहाँ सुनी, श्रवनूं पूछौं तोहि ॥२८॥*
श्रवनूं की ये बातें सुन पिता मन को बहुत भय होने लगा । उसने भयभीत हो, श्रवनूं से पूछा - "बेटा ! मैं तुमसे पूछना चाहता हूं कि ये बात तुमने कहाँ सुनी । अर्थात् तुमसे किसने बताया कि हमारी जानपर खतरा है" ॥२८॥
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*= श्रवनूं का उत्तर =*
*मोहि एक सद्गुरु मिल्या, तिनि यह भाखी आइ ।*
*तुमहिं पंच ठग ठगत हैं, अपने पितहिं सूनाइ ॥२९॥*
श्रवनू ने कहा - "पिताजी ! मुझे रास्ते में एक सज्जन(सद्गुरु) मिले थे, उन्हीं ने दया करके ये सब बातें बतायी हैं और कहा है कि तुम सबके पीछे पाँच ठग लगे हुए हैं, अगर अभी से उनसे अपनी रक्षा का उपाय न सोचा तो तुम्हारी जान पर आ बनेगी । यह बात अपने पिता को भी जाकर समझा दो ॥२९॥
(क्रमशः)
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