मंगलवार, 9 मई 2017

= ३२ =

卐 सत्यराम सा 卐
एक मना लागा रहै, अंत मिलेगा सोइ ।
दादू जाके मन बसै, ताको दर्शन होइ ॥ 
दादू निबहै त्यौं चलै, धीरै धीरज मांहि ।
परसेगा पीव एक दिन, दादू थाके नांहि ॥ 
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साभार ~ Seema Garg

*जो चाहोगे सो पाओगे !*

एक साधु था, वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था, “जो चाहोगे सो पाओगे”, “जो चाहोगे सो पाओगे।” बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे। 
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एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसने उस साधु की आवाज सुनी, “जो चाहोगे सो पाओगे”, “जो चाहोगे सो पाओगे।” और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया।
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उसने साधु से पूछा - “महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैँ चाहता हूँ?”
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साधु उसकी बात को सुनकर बोला - “हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहते हो मैँ उसे अवश्य दूँगा, बस तुम्हें मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या?”
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युवक बोला - “मेरी एक ही इच्छा है, मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ।”
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साधू बोला - “कोई बात नहीँ मैँ तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे !”
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और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा, “पुत्र, मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत व्यर्थ खोना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो”
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युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसकी दूसरी हथेली, पकड़ते हुए बोला, “पुत्र, इसे पकड़ो, यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है, लोग इसे “धैर्य” कहते हैं, जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिले तो इस कीमती मोती को धारण कर लेना, याद रखना जिसके पास यह मोती है, वह संसार कुछ भी प्राप्त कर सकता है।”
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युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय व्यर्थ नहीं करेगा और सदा धैर्य से काम लेगा । और ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम प्रारम्भ करता है और अपने परिश्रम और सत्य निष्ठा के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।
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‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अतः आवश्यक है कि हम अपने बहुमूल्य समय को व्यर्थ ना करें और अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए धैर्य से काम लें।

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