बुधवार, 17 मई 2017

= विन्दु (२)१०० =

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॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू चरितामृत(भाग-२)* 
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*= विन्दु १०० =*
*= श्री दादू स्वरूप दादूवाणी के आगे प्रार्थना =* 
फिर सभी संत मिलकर दादूजी के स्वरूप दादू वाणी के आगे प्रार्थना करने लगे - 
इन्दव - 
दादुदयालु दया करिये, 
भरिये हम में निज ज्ञान खजाना । 
होय रहैं हम एक सदा, 
न कदा अविवेक करे खल नाना ॥ 
साज समाज सुधार रहे कर, 
काज करैं शुभ ना मनमाना । 
देशिक सीख अलीक करैं न, 
‘नारायण’ लाग रहैं निज ज्ञाना ॥ १ ॥ 

दुर्मिल - 
कटि सेत पटी कर में लकुटी, 
सुरती त्रिकुटी हरिनाम हिये । 
विकटी भ्रकुटी भख बोध बटी, 
सुधरे कपटी सम भाव लिये ॥ 
सरतीर कुटी सब सिद्धि जुटी, 
जनता लपटी मन माल किये । 
गुरु दादु कुटी हमको दुघटी, 
सतसंग मिले न विषाद जिये ॥ २ ॥ 
ममता मद मोह गुमान अबोध, 
विवाद सदा हमरे हरिये । 
समता शम बोध विवेक छमा, 
दम दान दया हममें भरिये ॥ 
हम बाल पुकार रहे तुमको, 
कर कंज गुरो शिर पै धरिये । 
तब पाद सरोज सरोज हिये, 
बसते रहु दादु दया करिये ॥ ३ ॥ 
सुन्दरी - मति मान समान हिये जगमें, 
हम होय रहैं न लहैं दुख कोऊ । 
निज धर्म सनातन मांहिं रहैं, 
अति खेद सहैं न तजैं हम तोऊ ॥ 
जन दीन दुखी दुख दूर निवारन, 
हेतु करैं हम से जस होऊ । 
अब ऐक्य निवास करे हम में नित, 
दादु दयालु दया कर सोऊ ॥ ४ ॥ 

इन्दव - 
नीति निवास करे हम में रु, 
अनीति न भेद करे बहु शाखैं । 
नाथ गिरा तब नित्य पढ़ैं, 
मित औ प्रिय वाक्य सदा सत भाखैं ॥ 
ऐक्य समाज हि लक्ष रहे, 
सब दक्ष रहैं न कटू फल चाखैं । 
दादु दयालु दयाकर आज, 
समाज कि लाज ‘नारायण’ राखैं ॥ ५ ॥ 
उक्त प्रकार सबने श्री दादूजी स्वरूप दादूवाणी की प्रार्थना कर साष्टांग दंडवतैं की ।
(क्रमशः)

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