#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू चरितामृत(भाग-२)*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*= विन्दु १०० =*
.
*= श्री दादू स्वरूप दादूवाणी के आगे प्रार्थना =*
फिर सभी संत मिलकर दादूजी के स्वरूप दादू वाणी के आगे प्रार्थना करने लगे -
इन्दव -
दादुदयालु दया करिये,
भरिये हम में निज ज्ञान खजाना ।
होय रहैं हम एक सदा,
न कदा अविवेक करे खल नाना ॥
साज समाज सुधार रहे कर,
काज करैं शुभ ना मनमाना ।
देशिक सीख अलीक करैं न,
‘नारायण’ लाग रहैं निज ज्ञाना ॥ १ ॥
दुर्मिल -
कटि सेत पटी कर में लकुटी,
सुरती त्रिकुटी हरिनाम हिये ।
विकटी भ्रकुटी भख बोध बटी,
सुधरे कपटी सम भाव लिये ॥
सरतीर कुटी सब सिद्धि जुटी,
जनता लपटी मन माल किये ।
गुरु दादु कुटी हमको दुघटी,
सतसंग मिले न विषाद जिये ॥ २ ॥
ममता मद मोह गुमान अबोध,
विवाद सदा हमरे हरिये ।
समता शम बोध विवेक छमा,
दम दान दया हममें भरिये ॥
हम बाल पुकार रहे तुमको,
कर कंज गुरो शिर पै धरिये ।
तब पाद सरोज सरोज हिये,
बसते रहु दादु दया करिये ॥ ३ ॥
सुन्दरी - मति मान समान हिये जगमें,
हम होय रहैं न लहैं दुख कोऊ ।
निज धर्म सनातन मांहिं रहैं,
अति खेद सहैं न तजैं हम तोऊ ॥
जन दीन दुखी दुख दूर निवारन,
हेतु करैं हम से जस होऊ ।
अब ऐक्य निवास करे हम में नित,
दादु दयालु दया कर सोऊ ॥ ४ ॥
इन्दव -
नीति निवास करे हम में रु,
अनीति न भेद करे बहु शाखैं ।
नाथ गिरा तब नित्य पढ़ैं,
मित औ प्रिय वाक्य सदा सत भाखैं ॥
ऐक्य समाज हि लक्ष रहे,
सब दक्ष रहैं न कटू फल चाखैं ।
दादु दयालु दयाकर आज,
समाज कि लाज ‘नारायण’ राखैं ॥ ५ ॥
उक्त प्रकार सबने श्री दादूजी स्वरूप दादूवाणी की प्रार्थना कर साष्टांग दंडवतैं की ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें