रविवार, 7 मई 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/५६-७) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*जैसैं ही उतपति भई, तैसैं ही लयलीन ।* 
*सुन्दर जब सद्गुरु मिले, जो होते सो कीन ॥५६॥* 
जैसे उनकी उत्पत्ति(सृष्टि) हुई थी, वैसे ही वे अपने स्वरूप में लीन हो गये । सद्गुरु ने उपदेश देकर सब को जैसे थे वैसे ही निज स्वरूप में स्थित कर दिया ॥५६॥
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*= उपसंहार =* 
*याके सुनते परम सुख, दुख न रहै लवलेश ।* 
*सुन्दर कह्यौ बिचारि करि, अद्भुत ग्रन्थुपदेश ॥५७॥* 
॥ समाप्तोऽयं अद्भुत उपदेश ग्रन्थ ॥ 
महाराज श्रीसुन्दरदासजी कहते हैं--हमने यह 'अद्भुत ग्रन्थोपदेश' स्वयं साक्षात अनुभव करके कहा है । अतः जो भी साधक जिज्ञासु मन लगाकर इसे पढ़ेगा, सुनेगा, उसे भवदुःख लेशमात्र भी नहीं सतायेंगे ॥५७॥
॥ यह अद्भुतउपदेश ग्रन्थ समाप्त हुआ ॥  
(क्रमशः)

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