卐 सत्यराम सा 卐
सांसैं सांस संभालतां, इक दिन मिलि है आइ ।
सुमिरण पैंडा सहज का, सतगुरु दिया बताइ ॥
टीका ~ सतगुरुदेव उपदेश करते हैं कि हे जिज्ञासुओ ! श्वास प्रति श्वास के साथ ईश्वर का स्मरण करो । तो एक रोज व्यष्टि चेतन, जीव कूटस्थ, समष्टि चेतन ब्रह्म से अभेद हो जाएगा । यह स्मरण "पैंडा" कहिए, साधना मार्ग सहज कहिए, ब्रह्म में मिलने का सरल मार्ग सतगुरु ने बता दिया है ॥
समीचीनोऽप्ययमेव पन्था: क्षेमोऽकुतो भग: ।
सुशीला: साधवो यत्र नारायण-परायणा: ॥
(सुशील साधुओं के लिये नारायण नाम जपकर कल्याण प्राप्त करना भय रहित सुगम मार्ग है ।)
श्वास माहीं जात है, मानुष अमोल रतन ।
दादू दिल दीवान भज, या का यही जतन ॥
दादू सुमिरण कीजिये, जब बीते अर्ध रात ।
सहस्त्र गुणा हो भजन में, उगन्ते परभात ॥
सुमिरण करते आ मिले, सहजैं सुन्दर श्याम ।
शिवरी सुमरी प्रेम से, सारे-सारे काम ॥
*(श्री दादूवाणी ~ स्मरण का अंग)*
चित्र सौजन्य ~ नरसिँह जायसवाल
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