🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= बावनी(ग्रन्थ १३) =*
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*अह अह उपजै आतमग्यान,*
*अह न अह न वाही ध्याना ।*
*अहलताहि कबहू नहीं होई,*
*अहटि रहै तौ बूजै सोई ॥२१॥*
*(अ:)* यदि साधक(गुरुपदेशानुसार) निरन्तर उसकी ध्यान-साधना करे तो शनै: शनै: एक दिन उसे आत्मज्ञान हो ही जाता है । उसकी साधना में कभी विघ्न नहीं पड़ सकता । यदि कोई इस मार्ग से विनुख हो गया तो उसे इस भवसागर में डूबने से कौन बचा पायेगा ! ॥२१॥
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*कका करि काया में वासा,*
*काया माया कमल प्रकाशा ।*
*कमल माहि करताकों जोई,*
*करता मिलै करम नहिं कोई ॥२२॥*
*(क)* 'क' नाम परब्रह्म परमात्मा है, वह प्राणी की काया में वास करता है । प्राणी के शरीर में तेजःपुंज्जमय ह्रत्कमल है । उसी ह्र्त्कमल में उसके वास की कल्पना कर उसका चिन्तन करे । इस चिन्तन से उसे तत्वज्ञान प्राप्त हो जायगा । ज्ञानी को इस संसार के कर्ता का ज्ञान हो जाने पर उसका कोई अन्य कर्तव्य कर्म शेष नहीं रहता ॥२२॥
(क्रमशः)
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