गुरुवार, 12 अक्टूबर 2017

= राम-अष्टक(ग्रन्थ १९ - ३) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= राम-अष्टक(ग्रन्थ १९) =*
.
*बिधि रजो गुण लियै जगत उतपति करै ।*
*बिष्णु सत गुण लियै पालना उर धरै ॥*
*रूद्र तुम गुण लियै संहरै धाम जी ।*
*तुम सदा एक रस रामजी रामजी ॥३॥*
हे परमेश्वर ! ब्रह्मा रजोगुण के सहारे इस जगत् की उत्पत्ति करते हैं, विष्णु सत्वगुण का आश्रय लेकर इसका पालन करते हैं और रूद्र(शिव) तमोगुण के प्रभाव से इस सृष्टि का संहार करते रहते हैं । वस्तुतः आप तो वैसे त्रिगुणातीत हैं, अतः आप तटस्थ रूप से ही अपना व्यवहार करते हैं ॥३॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें