🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= ज्ञान-झूलनाष्टक(ग्रन्थ २६) =*
.
*नहिं शीश है रे नहिं पांव है रे,*
*नहिं रंक है रे नहिं राव है रे ।*
*नहिं का बनै पीवनै खचाव है रे,*
*नहिं हारनैं जीतनैं का दाव है रे ॥*
*नहिं नीर है रे नहिं नाव है रे,*
*नहिं ख़ाक है रे नहिं बाब है रे ।*
*नहिं मौत है रे नहिं आब है रे,*
*नहिं सुन्दर भाव अभाव है रे ॥८॥*
॥ समाप्तोSयं ज्ञान-झूलनाष्टक ग्रन्थः ॥२५॥
न उसके शिर है, न पैर । न वह निर्धन है न धनवान् । वह खाने-पीने मैं भी निरिच्छ है । न हार-जीत की ही उसे चाह है । न वह जल(आधार) है न वह नाव(आधेय) है । न वह धुल(उड़नेवाला) है न वायु(उड़ानेवाला) है । न उसमे जन्म है न मरण(वह जन्ममरण से रहित है) । वह भाव(सत्ता) और अभाव(निषेध) से रहित है ॥८॥
*॥ ज्ञानझूलनाष्टक ग्रन्थ समाप्त ॥*
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें