शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

= हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९-९/१०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*हरिबोल चितावनी(ग्रन्थ २९)*
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*तीनि लोक भटकत फिर्यौ,*
*हूवौ डांवां डोल ।*
*कतहूं सब पायौ नाहिंन,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥९॥*
प्राणी सत्य की जिज्ञासा में तीन लोक में घूमता-फिरता है, इधर-उधर भटकता रहता है, परन्तु बिना हरिभजन के उसे कहीं भी, उसे वह बस्तु-सत्य अधिगत नहीं हो सकता ॥९॥
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*धाम धूम बहुतैं करि,*
*अंध धन्ध धमसोल ।*
*धेधक धीना ह्वै गये,*
*(सु) हरि बोलौ हरि बोल ॥१०॥*
स्त्री-पुत्रादि के लिये मनुष्य ने जीवनभर धूम-धाम मचायी, अन्धाधुन्ध न्याय-अन्याय किया । परन्तु मृत्यु के समय वे सब अलग हो गये । अतः उनका मोह छोड़कर निरन्तर हरिस्मरण करना चाहिये ॥१०॥
(क्रमशः)

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